उत्तर. नासा-नालों और खड्डों में विभिन्न स्थानों पर कचरा फेंका जा रहा है। नगर पालिका परिषद की ओर से शहर में डोर टू डोर कचरा उठाव की योजना चल रही है। जिसमें हर जगह पर रोबोट के लिए बड़े-बल्लेबाटबिन रखे गए हैं। ताकि नगर के लोग इस डस्टबीन में घर का कूड़ा-कचड़ा दाल सके और डेयरी क्षेत्र को आराम से बना सकें, इसके बावजूद भी लोग कूड़ा करकट इधर-उधर फेंक रहे हैं।
वहीं, सोलर प्लांट के लिए डोर टू डोर प्लांट से लेकर सोलर प्लांट पर करोड़ों रुपये खर्च होते रहते हैं। इसके बावजूद शहर के साथ-साथ जीवनदायिनी बबी में ही नगर सफाई सफाई नदी निगम द्वारा कूड़ा करकट व कूड़ा-कचरा डाला जा रहा है। जिसमें यह नदी अपना अनुभव खोता नजर आ रही है। अन्य स्थानों पर भी मुख्य नारियल के किनारे भी नारियल के ढेर देखे जा सकते हैं। कंपनी द्वारा लगाया जा रहा है और इस कूड़े के ढेर को निस्तारित करने के लिए कंपनी द्वारा इसमें आग लगा दी जाती है। इससे जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, वहीं नदी और गड्डे में गंदगी भर रही है। शहर के विभिन्न वार्डों में इस तरह के कूड़े-कचरे को फ़ायरकर गोदामों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। इसके अनूठे जैविक नुस्खे इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
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वहीं, नगर परिषद के सभी वार्डों की हालत भी खराब है. जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। कई जगह झीलों की नदियाँ, गड्डों और नालों में तो जगह-जगह खोदे गए स्थान निकाले जा रहे हैं। बडी नदी में गार्डन के किनारे लगे कूड़े के ढेर के प्रदूषण तो फैले ही रह रहे हैं साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के भवनों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि शहर में कई जगहों पर खुले में सामान बेचा जाता है। बाबा नदी को नारियल के ढेर से पाट दिया गया है। लोगों के अनुसार, कंपनियों और प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि कोई भी गंदगी न फैले और नदियाँ एकजुट न हों। इस संबंध में दस्तावेज़ी अधिकारियों से पूछा गया तो आचार संहिता लागू का हवाला देते हुए कुछ भी कहा गया।
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