बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन सभागार में काशी साहित्य कला उत्सव के पहले दिन संगीत और साहित्य के प्रसिद्ध सितारों का जमावड़ा लगा। शाम में लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने अपना रंग जमाया। भजनों से लेकर सूफी संगीत तक अपनी आवाज का जादू बिखेरा। शानदार प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया। लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।
स्वतंत्रता भवन सभागार में युवा श्रोताओं के साथ संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ दिखी। मैथिली ने ‘चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया’, ‘तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी’, छाप तिलक सब छीनी’, ‘मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर’, ‘हमें जिंदा रहने दो ए हुस्न वालों’ और ‘श्रीराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में’, आदि गाने पर तान छेड़ी तो लोग मंत्रमुग्ध हो उठे।
इस दौरान कई लोग कुर्सियों को छोड़कर नाचते भी नजर आए। भीड़ के अभिवादन के बाद मैथिली ने ‘दमादम मस्त कंलदर’ से आगाज किया। फिर एक के बाद कई नगमे सुनाए। ‘डम-डम डमरू बजावे ला हमार जोगिया’ पर श्रोताओं ने तालियों से जुगलबंदी की। देर रात कार्यक्रम समाप्ति के बाद लोग मैथिली ठाकुर की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे।
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