गाजियाबाद: क्रॉसिंग रिपब्लिक स्थित महागुन मैस्कॉट सोसायटी के निवासियों ने दो अवैध टावरों की लड़ाई जीत ली है। बिल्डर और महागुन मैस्कॉट आरडब्ल्यू के बीच बीते 7 साल से जारी कानूनी लड़ाई का फैसला आरडब्ल्यूए के पक्ष में गया है। दरअसल, बिल्डर ने मैप में 14 सितंबर 2013 को परिवर्तन करते हुए ओपन स्पेस में Y-3, Y-4 टावर प्रस्तावित किए। आरडब्ल्यूए ने यूपी अपार्टमेंट एक्ट का हवाला देते हुए इसका विरोध गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) में किया, लेकिन जीडीए ने आरडब्ल्यूए की आपत्ति को नहीं माना। इसके बाद आरडब्ल्यू ने वर्ष 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर स्टे लगा दिया और 8 सप्ताह में राज्य सरकार को पुनरीक्षण करने का आदेश दिया गया।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद शासन ने पुनरीक्षण किया, लेकिन स्थानीय निवासियों को राहत नहीं मिली। इसके बाद आरडब्ल्यूए दोबारा से याचिका संख्या 20502/2018 लेकर हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने जीडीए के सक्षम अधिकारी को मामले के निपटारे का आदेश दिया और निर्माण पर रोक जारी रखी। जीडीए ने अपने आदेश में मैप को मंजूरी दी और निवासियों को प्रेफर्ड लोकेशन चार्ज (PLC) वापस करने के आदेश दिए। जीडीए के इस निर्णय के खिलाफ आरडब्ल्यूए एक बार फिर हाई कोर्ट गया जहां से पुनरीक्षण के लिए शासन को आदेश दिए गए।
शासन ने जारी किए आदेशइस मामले में आवास शहरी एवं नियोजन के सचिव ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 25 जनवरी 2023 को एक आदेश जारी किया, जिसमें 17 जनवरी 2019 के जीडीए के आदेश को अमान्य करार दिया गया। सचिव ने आदेश में लिखा है कि Y-3 Y-4 टावर के परीक्षण से स्पष्ट है कि यदि इसे आवंटियों की सहमति मान भी लें तो मात्र Y-1, Y-2 टावर के अतिरिक्त फ्लोर बनाने के संबंध में सुसंगत है, लेकिन यह नए टावर बनाने के संबंध में नहीं। यह प्रकरण भी एमरॉल्ड केस के समान है क्योंकि इसमें भी अतिरिक्त भूमि वर्तमान लेआउट में समाहित की गई है और पूर्व आवंटियों का कॉमन एरिया में अविभाजित शेयर कम हुआ है। विवेचना में ये भी पाया गया कि उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट की धारा-5 का उल्लंघन हुआ है।7 साल के लंबे संघर्ष के बाद मिली जीतआरडब्ल्यूए सचिव सुशील कुमार मिश्रा ने कहा कि अब इस फैसले के बाद महागुन मैस्कॉट के निवासियों में खुशी का माहौल है। सात साल के लंबे संघर्ष के बाद सत्य की जीत हुई है। अब यहां ट्विन टावर नहीं बनेंगे और निवासियों के लिए ओपन स्पेस का इस्तेमाल होगा। शासन के इस निर्णय के बाद महागुन बिल्डर ने एक सार्वजनिक सूचना के जरिए अखबारों में Y-3, Y-4 टावर की जमीन को सरेंडर करने की सूचना भी दी है।
रेजिडेंट्स विकास काम्बोज ने कहा कि सोसायटी में बनने जा रहे दो अवैध टावरों का काम रुकवाकर यूपी आवास सचिव ने आम लोगों के हक में फैसला सुनाया है। यह रेजिडेंट्स की बड़ी जीत है और आम आदमी का कोर्ट और सरकार पर भरोसा भी बढ़ा है। 7 साल के कठिन संघर्ष के बाद मिली जीत की ख़ुशी बहुत खास है। अब सोसायटी के खुले स्पेस का प्रयोग किसी पार्क जैसे जगह के लिए प्रयोग कर सकेंगे।
महागुन मैस्कॉट आरडब्ल्यूए प्रेजिडेंट निशांत जोशी हम लोग 2016 से इस अवैध काम को रुकवाने के लिए प्रयासरत थे। इस लड़ाई में हमने हार नहीं मानी। दो बार हाई कोर्ट का रुख किया। उच्च न्यायालय ने पुनः अवलोकन के लिए इसे दुबारा सचिव आवास के पास भेजा, तब जाकर इस पर सही कार्रवाई शुरू हुई। बीच में कई सचिव बदले इसलिए देरी हुई, लेकिन पिछले महीने सचिव आवास ने इन दोनों टावरों को गलत बताया और मैस्कॉट निवासियों के हक में फैसला सुनाया।
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