पीएफआई से संबंध रखने के आरोप में लखनऊ की जेल में बंद केरल के कथित पत्रकार सिद्दीक कप्पन की बृहस्पतिवार को 28 महीने बाद रिहाई हो गई। जेल से बाहर निकलते ही कप्पन ने कहा कि वह हाथरस में रिपोर्टिंग करने गया था। उसके पास सिर्फ दो पेन व एक नोटबुक था। इसके बावजूद पुलिस ने उसको टैक्सी चालक के साथ गिरफ्तार कर लिया।
कप्पन का आरोप है कि जमानत मंजूर होने के बाद भी उसे जेल मे रखने के लिए जमानतदारों के सत्यापन को लटकाया गया। पता नहीं पुलिस उसे क्यों जेल मे रखना चाहती है। उसने कहा कि मेरे जेल मे रहने से किसी को क्या लाभ है मुझे नहीं पता। लेकिन, न्याय की जीत हुई।
खुद को बेकसूर बताते हुए कप्पन ने कहा कि उसके खाते मे कोई पैसा नहीं आया। पुलिस व ईडी ने उस पर मनी लॉन्डिंग समेत फर्जी मुकदमे दर्ज किये हैं। लिहाजा खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए वह आखिरी दम तक लड़ाई लड़ेगा। उधर, जेल के बाहर मौजूद उसकी पत्नी रिहाना और बेटा मोहम्मद मुजम्मिल उसे देखकर भावुक हो गए। दोनों कप्पन से लिपटकर रोने लगे।
कप्पन ने रिहाई के दौरान जेल प्रशासन पर धमकाने का आरोप भी लगाया है। उसने आरोप लगाया कि उससे कहा गया कि बाहर जाकर अगर कुछ भी बोला तो फिर जेल भेज दिए जाओगे। हालांकि जेल प्रशासन ने कप्पन के आरोप को गलत बताया है।
पीएफआई से मेरा कोई संबंध नही
कप्पन ने कहा कि पीएफआई से उसका कोई संबंध नहीं है। उसके खाते से कोई बड़ा लेने देन नहीं हुआ है और न ही उसके खाते में कहीं से पैसे आए हैं। हाथरस मामले में दूसरे पत्रकारों की तरह वह भी कवरेज करने गया था। उसने कहा कि उसके मोबाइल में कांग्रेस, बीजेपी समेत कई पार्टियों के तमाम नेताओं के मोबाइल नंबर थे।
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