सांकेतिक तस्वीर।
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विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ओम प्रकाश मिश्र ने आवास आयुक्त आवास व विकास परिषद लखनऊ अजय चौहान, अधिशासी अभियंता जेके कौशल, संपत्ति अधिकारी रामचन्द्र, अवर अभियंता रजनीश श्रीवास्तव वरिष्ठ लेखाकार शिवाकांत त्रिपाठी व अन्य संबंधित लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश थानाध्यक्ष शाहपुर को दिया है। इन लोगों पर भ्रष्टाचार व छल कारित करते हुए धन प्राप्त कर बैनामा करने के पांच वर्ष बाद भी भौतिक कब्जा प्रदान न किए जाने का आरोप है। भवन की मरम्मत के नाम पर नाजायज धन की मांग करने का भी आरोप है।
जानकारी के मुताबिक, कोर्ट में कैंट छेत्र के दाउदपुर मुहल्ला निवासी वादी देवी शरण राम त्रिपाठी एडवोकेट की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मदन मोहन त्रिपाठी का कथन था कि वादी ने दिनांक 30 मई 1987 को विज्ञापन के आधार पर एलआईजी भवन के लिए पंजीकरण कराया था। दिनांक 22 नवम्बर 1990 को भवन संख्या 327 आवंटित हुआ। बाद में पता चला कि आवंटित भवन ईडब्लूएस का है। यह पहले से किसी दूसरे के नाम आवंटित था।
दिनांक 27 मार्च 91 को दुसरा भवन संख्या 418 आवंटित किया गया वह भी दूसरे को आवंटित कर दिया गया था। तीसरी बार फिर 9 अप्रैल 91 को भवन संख्या 315 आवंटित किया गया उस पर भी कब्जा नही मिला फिर 884 आवंटित किए उस पर भी कब्जा नही मिला। विभाग ने वादी से कुल 7 लाख 93 हजार 209 रुपए वसूला गया। धन की रक़स्त पूरा होने पर दिनांक 7 जून 2017 को बैनामा भी कर दिया गया। बावजूद उसके आज तक भवन पर नहीं दिया गया।
वादी दौड़ता रहा आरोपीगण कोई सुनवाई नहीं किए। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संज्ञेय अपराध का होना पाया और मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी, छल व धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज करने का प्रार्थना पत्र दिया है।
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