लखनऊ में अलाया अपार्टमेंट के हादसे में बुधवार दोपहर तक राहत व बचाव कार्य जारी है। प्रदेश के डीजीपी डीएस चौहान का कहना है कि रेस्क्यू में अभी 24 से 48 घंटे और लग सकते हैं। अभी भी कई लोग मलबे में फंसे हुए हैं। उन तक ऑक्सीजन पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
राहत व बचाव कार्य में पुलिस, एसडीआरएफ, अग्निशमन विभाग और सेना के जवान भी शामिल हैं। मौके पर कई आलाधिकारी मौजूद हैं और मामले पर पूरी नजर रख रहे हैं।
अपार्टमेंट में करीब 12 फ्लैट थे। सबसे ऊपर एक पेंटहाउस था। शाम करीब साढ़े छह बजे अचानक से ये इमारत ढह गई। लोग समझ ही नहीं पाए हादसा कैसे हुआ।
डीजीपी डीएस चौहान के अनुसार हादसे के समय अपार्टमेंट में आठ से 10 परिवार मौजूद थे। इनमें से करीब 20 लोग दब गए थे।
एलडीए के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक बिल्डिंग का कोई नक्शा सामने नहीं आया है। हालांकि, इसकी जांच कराई जा रही है कि इस अवैध निर्माण के खिलाफ क्या पहले कोई कार्रवाई की गई, इसकी भी जांच कराई जा रही है। इसके बाद ही पूरी सच्चाई सामने आ पाएगी। (मलबे से निकाली गई एक महिला)
जिम्मेदार सोते रहे…इसलिए बन गया अवैध इमारतों का गढ़
वजीर हसन रोड, प्राग नरायन रोड आदि इलाकों को अवैध निर्माणों ने हादसों का गढ़ बना दिया। कुछ दिन पहले ही इसी याजदान बिल्डर की अवैध इमारत को तोड़ते समय हादसा हुआ। इससे पहले लेवाना सुइट्स होटल की आग में चार की मौत हो गई थी।
याजदान बिल्डर्स की बिल्डिंग के कमजोर होने की वजह इसको तोड़ते समय एक हिस्सा खुद से ढह गया। इससे आसपास के घरों को बड़ा नुकसान हुआ था। करीब आधा दर्जन भर लोग बिल्डिंग के मलबे में दब गए थे। वहीं पांच सितंबर 2021 को अलाया अपार्टमेंट से कुछ दूरी पर ही लेवाना सुइट्स होटल में आग लगी थी। इसमें चार लोग आग में फंसने के बाद दम घुटने की वजह से जान गंवा बैठे। इस हादसे की चर्चा पूरे देश में हुई।
पूरा ढांचा कमजोर…हादसे की बड़ी वजह
वजीर हसन रोड पर निर्माण करते समयढांचे की मजबूती का कोई ख्याल नहीं रखा गया। कमजोर ढांचे पर ही पूरी बिल्डिंग खड़ी की गई। खुद फ्लैट मालिकों ने बताया कि इसको लेकर कई बार सवाल उठाया, लेकिन बिल्डर ने एक न सुनी। फ्लैट खरीदने के बाद एक तरह से यहां फंस गए। पेंट हाउस का निर्माण तो डिजाइन में ही नहीं था। इसके बाद भी जबरन बनाया गया। कमजोर ढांचा खोदाई और ड्रिलिंग झेल नहीं पाया।
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