सेना की गरुड़ डिवीजन की ओर से मंगलवार को बरेली कॉलेज के हॉकी ग्राउंड में आधुनिक हथियारों और उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई। बूंदाबांदी के बीच प्रदर्शनी में पहुंचे युवाओं और छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह दिखा। 21वीं वाहिनी एनसीसी के कैडेट्स ने ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर राम प्रताप सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
प्रदर्शनी में सेना की ओर से नई पीढ़ी के कई आधुनिक हथियारों को शामिल किया गया। प्रदर्शनी में नेगेव लाइट मशीनगन, द्रगुनव स्नाइपर राइफल, सिग 716 असाल्ट रायफल, रॉकेट लांचर, एंटी टैंक मिसाइल, रडार सिस्टम, अंधेरे में देखने वाले उपकरण, बुलेट प्रूफ जैकेट, जम्मू-कश्मीर और सियाचिन जैसे युद्ध क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों समेत स्टेट ऑफ सर्विलांस और सेना के संचार उपकरणों को रखा गया। प्रदर्शनी के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने सेना की ताकत जानी।
प्रदर्शनी में पहुंचे युवाओं और छात्र-छात्राओं को सैन्य अधिकारियों ने हथियारों के बारे में अहम जानकारियां दीं। बताया कि युद्ध के समय किस तरह से ये उपकरण सेना की ताकत बनते हैं। प्रदर्शनी में सेना के जवानों के बिना हथियार दुश्मन से मुकाबला, हॉर्स शो समेत कई हैरतगअंगेज कार्यक्रमों के जरिये लोगों में राष्ट्र भक्ति की भावना का संचार किया गया। भारतीय सेना के पराक्रम को देखकर लोगों को गर्व की अनुभूति हुई।
नेगेव लाइट मशीनगन
इजराइल में निर्मित नेगेव लाइट मशीनगन की मारक क्षमता 900 मीटर है। यह मशीनगन सटीक मारक क्षमता के लिए विश्व भर में पहचान रखती है। इसका इस्तेमाल सेमी ऑटोमेटिक मोड और सिंगल बुलेट के लिए भी किया जाता है। बेहद खतरनाक मानी जाने वाली इस मशीनगन से एक मिनट में 700 राउंड गोलियां दागी जा सकती हैं। इस मशीनगन से हेलीकॉप्टर, टैंक, नौ सेना के जहाजों से भी फायरिंग की जा सकती है। इसका इस्तेमाल इजराइल के साथ नाटो सेना भी करती है।
एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) मैदानी युद्ध क्षेत्रों में सेना की ताकत है। सेना पंजाब और राजस्थान बॉर्डर पर इसका इस्तेमाल कर रही है। एटीजीएम में 84 एमएम आरएल रॉकेट दागने की क्षमता है। एटीजीएम सटीक निशाने के लिए जाना जाता है। करीब 1.50 किमी दूरी तक मार करने वाला यह हथियार मिनटों में दुश्मन के टैंक को नष्ट करने की क्षमता रखता है। युद्ध क्षेत्र में एटीजीएम से मिसाइल दागने के लिए भारतीय सेना अपने युद्धक टैंकों का भी इस्तेमाल करती है।
सिग असॉल्ट रायफल
अमेरिका में निर्मित सिग असॉल्ट रायफल का इस्तेमाल भारतीय सेना एलओसी और एलएसी पर कर रही है। जम्मू-कश्मीर में इस असॉल्ट रायफल का इस्तेमाल आतंकवाद निरोधक कार्रवाई में भी किया जा रहा है। इस रायफल की मरक क्षमता 500 मीटर है। 7.62 बोर की इस आधुनिक रायफल का निशाना सटीक है और यह एक बार में ऑटो मोड पर 20 राउंड फायर करती है। इसे शूट टू किल रायफल भी कहा जाता है। इंसास के मुकाबले यह रायफल कई गुना बेहतर है।
इंसास रायफल
भारतीय सेना लंबे समय से इंसास (द इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) रायफल का इस्तेमाल कर रही है। गैस से चलने वाली इस रायफल की मारक क्षमता 400 मीटर से ज्यादा है। इससे सिंगल और थ्री राउंड फायर किया जा सकता है। भारतीय सेना ने 1999 में कारगिल युद्ध में भी इंसास रायफल का इस्तेमाल किया था। इंसास की मैगजीन 20 और 30 राउंड की होती है। इसमें 5.56 बोर की गोलियों का इस्तेमाल होता है। भारत में निर्मित इस रायफल के स्थान पर अब सेना को दूसरी अधुनिक रायफलों से लैस किया जा रहा है।
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