नोएडा: ग्रेटर नोएडा में हिट ऐंड रन केस में घायल हुईं स्वीटी कुमारी को 23 दिनों तक हॉस्पिटल में रहने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। ऐक्सिडेंट के बाद स्वीटी के सिर में चोट लगी थी, जिसकी वजह से दो सर्जरी करनी पड़ी। वह कई दिनों तक कोमा में रहीं। उनके पैर में भी कई फ्रैक्चर हो गए थे। रविवार को 22 साल की स्टूडेंट को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
ग्रेटर नोएडा में किराए के फ्लैट पर पहुंचने के बाद बी.टेक स्टूडेंट स्वीटी ने सबसे पहले अपने कॉलेज के डिपार्टमेंट हेड को फोन करके यह पूछा कि क्या वह फाइनल ईयर की परीक्षा दे पाएंगी या नहीं। स्वीटी ने बताया कि एचओडी सर की तरफ से इस बात का आश्वासन मिला है कि पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद में परीक्षा में बैठ सकती हूं। परीक्षा में सफल होने पर वह ग्रेजुएट हो जाएंगी।
अस्पताल के निदेशक दिनेश शर्मा ने बताया कि स्वीटी की कंडीशन अब स्थिर है। हालांकि वह अगले कुछ दिनों तक मेडिकल फैसिलिटी पर रहेंगी। न्यूरोसर्जन में स्वीटी को सलाह दी है कि जल्द से जल्द बेहतर होने के लिए परिवार और दोस्तों के साथ समय बताएं। उनकी मेमोरी और अन्य मानसिक क्षमता पूरी तरीके से सही हैं। उन्हें अगले एक-दो महीनों तक फॉलोअप के लिए आते रहने के लिए कहा गया है। उनकी ऑर्थोपेडिक सर्जरी भी सफल रही और डॉक्टर की सलाह के बाद प्लास्टर को हटा दिया जाएगा।
वहीं अपने फ्लैट पर वापस लौटने के बाद स्वीटी ने कहा कि वह अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ होने पर पहले से ज्यादा बेहतर महसूस कर रही हैं। उन्होंने अपने दोस्तों बैचमेट्स और टीचर्स का विशेष तौर पर धन्यवाद दिया, जिन्होंने इलाज के लिए जरूरी 29 लाख रुपए का फंड इकट्ठा करने में दिन-रात मेहनत की। नोएडा पुलिस ने भी आर्थिक मदद की।
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ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाना क्षेत्र में 31 दिसंबर की रात में बजे इंजिनियरिंग छात्रा स्वीटी कुमारी को सेंट्रो कार सवार ने जोरदार टक्कर मारी थी। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिसके बाद कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। हादसे के करीब 16 दिनों बाद आरोपी पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोपी को पकड़ने में पुलिस को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। अंतत: एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और फिर एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती चली गईं। सफेद सेंट्रो चालक गुलाब सिंह को पकड़ लिया गया।
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स्वीटी के ऐक्सिडेंट के वक्त पिता शिव बिहार की राजधानी पटना में थे। हादसे के करीब दो घंटे बाद उनसे बात हो पाई। सर्जरी के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता था और डॉक्टरों को इलाज के लिए सहमति की जरूरत थी। ऐसे में दोस्त सामने आए और ऑपरेशन के लिए जरूरी सहमति के दस्तावेज पर खुद ही साइन किया। इसके बाद सभी दोस्त और बैचमेट ने मिशन मोड में जुटकर फंड जुटाना शुरू कर दिया।
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