पौष पूर्णिमा स्नान के साथ संगम की रेती पर शुरू हुए महीने भर के माघ मेले में भूमि-सुविधाओं के लिए मारामारी मच गई है। शनिवार को दर्जनों की संख्या में साधु-संत सुविधाओं के लिए मेलाधिकारी दफ्तर में घुस गए। इस दौरान जमकर धक्कामुक्की हुई। एक साथ कई लोगों के बैठने से मेलाधिकारी की मेज और कई कुर्सियां टूट गईं। इससे अफरातफरी का माहौल बन गया। अंतत: पुलिस की मदद से जब लोगों को बाहर किया गया, तब जाकर स्थिति सामान्य हो सकी।
माघ मेले में अभी 40 फीसदी बसावट होनी बाकी है। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के तीन दिन पहले की सुविधाओं के लिए जो आदेश जारी हुए थे, वह सुबह तक मेला प्रशासन के कैंप कार्यालय के काउंटर पर नहीं पहुंच सके थे। उधर, दफ्तर खुलने के साथ ही साधु-संतों, संस्थाओं के संचालकों की भीड़ सुविधाओं के लिए पहुंचने लगी। मेलाधिकारी ने एसडीएम रेणु सिंह को दफ्तर में बैठकर सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंप दी।
किसी को नल, किचन, टिनघेरा, बांसबाड़ा तो किसी को विद्युत कनेक्शन और शौचालय की दरकार थी। इस दौरान मेलाधिकारी अफसरों के साथ मकर संक्रांति के स्नान पर्व की तैयारियों को लेकर बैठक करने लगे। कुछ देर बाद मेलाधिकारी का कक्ष जैसे ही खुला साधु-संतों की भीड़ घुस घई। देेखते-देखते दर्जनों की तादाद में साधु मेलाधिकारी के कक्ष में घुस कर एक पर एक मेज-कुर्सियों पर बैठने लगे।
इस दौरान अत्यधिक दबाव की वजह से मेलाधिकारी की मेज टूट गई।। टेबल के शीशे भी टूट गए। कई कुर्सियों के हत्थे क्षतिग्रस्त हो गए। सुरक्षाकर्मियों के हस्तक्षेप के बावजूद वहां धक्कामुक्की के बीच हंगामा होता रहा। मेज टूटने के बाद मेलाधिकारी नेे पुलिस की मदद से लोगों को बाहर निकलवा कर माहौल शांत कराया।
किसी भी साधु-संत को दिक्कत न होने पाए, इसके लिए पर्याप्त सुविधाएं जारी की जा रही हैं। दोपहर के वक्त अचानक कई लोग मेरे चेंबर में सुविधा के लिए प्रवेश कर गए। कई लोग मेरी मेज पर ही बैठ गए, इससे वह टूट गई। बाद में लोगों को समझाकर बाहर किया गया। – अरविंद चौहान, मेलाधिकारी।
पौष पूर्णिमा स्नान के साथ संगम की रेती पर शुरू हुए महीने भर के माघ मेले में भूमि-सुविधाओं के लिए मारामारी मच गई है। शनिवार को दर्जनों की संख्या में साधु-संत सुविधाओं के लिए मेलाधिकारी दफ्तर में घुस गए। इस दौरान जमकर धक्कामुक्की हुई। एक साथ कई लोगों के बैठने से मेलाधिकारी की मेज और कई कुर्सियां टूट गईं। इससे अफरातफरी का माहौल बन गया। अंतत: पुलिस की मदद से जब लोगों को बाहर किया गया, तब जाकर स्थिति सामान्य हो सकी।
माघ मेले में अभी 40 फीसदी बसावट होनी बाकी है। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के तीन दिन पहले की सुविधाओं के लिए जो आदेश जारी हुए थे, वह सुबह तक मेला प्रशासन के कैंप कार्यालय के काउंटर पर नहीं पहुंच सके थे। उधर, दफ्तर खुलने के साथ ही साधु-संतों, संस्थाओं के संचालकों की भीड़ सुविधाओं के लिए पहुंचने लगी। मेलाधिकारी ने एसडीएम रेणु सिंह को दफ्तर में बैठकर सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंप दी।
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