उन्नाव: यूपी के उन्नाव जिले में सर्द रात में खेत की रखवाली कर रहे है एक किसान की आवारा जानवर के हमले से जान चली गई। सुबह किसान का शव खेत में खून से लथपथ पड़ा मिला है। सूचना पर मौके पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पीएम के लिए भेज दिया है। परिजनों के मुताबिक मृतक किसान आवारा जानवरों से अपनी फसल को बचाने के लिए रोज खेतों पर जाते थे। परिजनों का आरोप है की अन्ना पशुओं के हमले से उनकी जान गई है।
अन्ना पशुओं के हमले से किसान की गई जान
जानकारी के मुताबिक बीघापुर थाना क्षेत्र के रुझाई गांव के निवासी चंद्रभान सिंह उम्र 58 साल की गांव के किनारे खेत है जहां पर उन्होंने अपनी फसल की बुआई की है। फसल की सुरक्षा के लिए उन्होंने अपने खेतों की तारों के जरिए बैरिकेटिंग भी कर रखी है।
मृतक किसान के परिवार वालों का कहना है की खेत की बैरिकेटिंग करने के बाद भी आवारा पशु खेत के अंदर घुस कर फसल को नुकसान पहुंचाते थे। इसलिए वह अपनी फसल की रखवाली करने रोज रात में खेत जाया करते थे। बुधवार की देर शाम भी वह अपने खेत गए थे सुबह उनका शव खेत में ही खून से लथपथ पड़ा मिला। परिजनों का आरोप है की अन्ना जानवरों के हमले से उनकी जान गई है।
पुलिस का कहना तारों से उलझ कर हुए घायल
बीघापुर थाना प्रभारी ने बताया की मृतक किसान अपने खेतों की रखवाली करने गए थे जहां वह खेतों की बैरिकेटिंग करने के लिए लगाए गए तारों से उलझ गए जिससे वह घायल हो गए और उनकी मौत हो गई । पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा की उनकी जान पशुओं के हमले से हुई है या तारों के उलझने से।एक महीने के अंदर दो किसान गवां चुके है जान
बता दें की एक महीने के अंदर यह दूसरी घटना हुई है जिसमें खेत की रखवाली कर रहे किसान की जान गई है । उसके बाद भी आवारा जानवरों का झुंड हर गांव में देखने को मिल रहा है और जिम्मेदार अधिकारी केवल दावे ही करते नजर आ रहे है।
स्थायी समाधान के लिए कार्य करना जरूरी
चुनाव के समय भाषणों और वोट बैंक की राजनीति में आवारा पशु मुद्दा तो बने, लेकिन इसके बाद से यह आरोप-प्रत्यारोप का विषय बनकर रह गए हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर से स्थाई समाधान का दावा किया गया। लेकिन, वह समाधान अब तक ढूंढ़ने में सफलता नहीं मिली है। भूसा बैंक से लेकर पशुओं को गोशाला में लाने तक की तमाम घोषणाएं जमीन पर लागू नहीं हो पा रही हैं। अखिलेश यादव ने चुनाव परिणाम के बाद भी वाहन के आगे पशु आने पर सरकार पर तंज कसा था। लेकिन, राजनीतिक बयानबाजी से इतर इस मामले के समाधान के लिए बड़े स्तर पर कोई चर्चा होती नहीं दिखी है। सरकार के स्तर पर दावे तो कई किए गए हैं, उन्हें जमीन पर उतारने के लिए गंभीरता से कार्य करना होगा।
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