बांदा: यूपी के बांदा में एक बंदर (Monkey steal human babies) ने दो माह के मासूम बच्चे को उठाकर ले गया। जब लोगों ने उसका पीछा किया तो बंदर ने बच्चे को फेंक दिया। बच्चा ऊंचाई से गिरने की वजह से गंभीर रूप से घायल हो गया। बाद में उसकी मौत हो गई। बांदा में बंदर आम जनता के लिए मुसीबत बन गए हैं। लेकिन इस दुखद घटना ने सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर उस बंदर ने बच्चे को क्यों (why monkey steal babies) चुराया होगा? क्या मां की ममता या फिर वह बच्चे को वाकई नुकसान पहुंचाना चाहता था?
यह एक ऐसा सवाल है जो प्राणि विज्ञानियों को भी चकरा देता है। असल में बंदरों की गिनती दुनिया के कुछ सबसे बुद्धिमान प्राणियों में होती है। ऐसा इसलिए भी कि इनके दिमाग और इंसानी दिमाग में 93 पर्सेंट समानता होती है। इसके अलावा ये भी इंसानों जैसे इमोशन या भावनाएं महसूस कर सकते हैं और उन्हें जताते भीा हैं। इसलिए बंदरों के हाथों नवजात शिशुओं की किडनैपिंग के पीछे का कारण खोजना इतना आसान नहीं।
बंदर अक्सर दूसरे बंदरों के नवजात बच्चे भी चुराते हैं। ऐसा प्राय: तब होता है जब मादा बंदर का नवजात शिशु मर गया हो और मातृत्व की भावनावश वह दूसरे नवजात बच्चे में अपना बच्चा खोजने लगे। बंदर भी झुंड में रहते हैं और इंसानों की तरह उनके यहां भी ऊंच-नीच पर आधारित सामाजिक व्यवस्था होती है।
ऐसे में हाई रैकिंग फीमेल या झुंड की ऊंचे दर्जे की मादा बंदर किसी कमजोर या निचले दर्जे के मादा बंदर का बच्चा अक्सर छीन लेती है। बंदरों की दुनिया में यह खूब देखा गया है। निचले दर्जे की मां की हैसियत बहुत कमजोर होती है और वह अकसर इसे स्वीकार कर लेती है। इसीलिए बंदर मांएं चोरी के डर से अपने नवजात या छोटे बच्चों को खुद से चिपका कर ही रखती हैं।
लेकिन ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब मादा बंदर दूसरे जानवरों के बच्चे चुरा ले जाएं। आज से चार साल पहले तमिलनाडु के इरोड जिले में एक मादा बंदर और कुत्ते के नवजात पिल्ले की जोड़ी बहुत मशहूर हुई थी। वह मादा बंदर कुत्ते के पिल्ले को अपने हाथों में पकडे़ रहती थी। उसकी देखभाल करती थी, उसके शरीर की सफाई करती थी, उसे खाना भी खिलाती थी। यहां तक कि दूसरे जानवरों से उसकी रक्षा भी करती थी। पिल्ला भी उससे दूर नहीं जाता था, जाहिर था उसे अपनी मां ही समझता था। लोग इन दोनों के लिए खाना भी रखने लगे। यह मादा बंदर भी ममतावश इस पिल्ले को अपने साथ रखती थी।
अब बात आती है इंसानों के बच्चों की। इंसान के नवजात भी बहुत हद तक बंदरों के नवजात शिशुओं जैसे होते हैं। ऐसे में मादा बंदर इंसान के नवजात शिशुओं चुरा ले जाएं ऐसी घटनाएं भी आती हैं। चूंकि इंसान के बच्चे उनके बच्चों की तुलना में भारी होते हैं इसलिए उनकी पकड़ से सरक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। लेकिन बच्चों को चुराने की ये घटनाएं गांव देहात में ही घटती हैं जहां बंदर खुद को इंसानों की तुलना में ऊंचे ओहदे का समझते हैं क्योंकि वे गांववालों को डरकर भागते देखकर उन्हें कमजोर मानने लगते हैं।
लेकिन एक संभावना यह भी जताई गई है कि बंदर कभी-कभी जिज्ञासावश इंसानी बच्चों का अपहरण कर लेते हैं। अफ्रीकी देश यूगांडा में चिंपैंजी के एक झुंड ने दो साल की बच्ची का अपहरण कर लिया था। बाद में बच्ची का शव क्षतविक्षत अवस्था में मिला। उसे देखकर लगा कि चिंपैंजी इंसानी बच्चे के शरीर का मुआयना कर रहे थे।
बहरहाल, बांदा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे क्या कारण था यह तो नहीं कहा जा सकता, हां यह जरूर कहा जा सकता है कि इंसान और पशुओं के बीच चलने वाले इस टकराव को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाना जरूरी है। पशुओं के प्राकृतिक आवास कम हो रहे हैं ऐसे में ये टकराव बढ़ने लाजिमी हैं।
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