गाजीपुर: पूर्वांचल के बाहुबली और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। मुख्तार अंसारी को जेलर को धमकाने और जान से मारने की धमकी देने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोषी ठहराया था। बाहुबली डॉन को 7 साल की सजा सुनाई गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की सजा के खिलाफ मुख्तार अंसारी सुप्रीम कोर्ट चले गए। सु्प्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामला मुख्तार अंसारी की ओर से वर्ष 2003 में एक जेलर को धमकाने और जान से मारने की धमकी देने का है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सजा पर रोक लगा दी है। पिछले माह 1996 के एक चर्चित मामले में गैंगस्टर कोर्ट ने दोषी करार दिया। कोर्ट ने मुख्तार और भीम सिंह को 10 साल की सजा सुनाई थी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य अंसारी को निचली कोर्ट ने दोषमुक्त किया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली कोर्ट के आदेश को पलटते हुए 7 साल की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अंसारी को 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई थी। जेलर को रिवॉल्वर दिखाकर धमकाने का दोषी माना गया। यह मामला वर्ष 2003 का है। उस समय लखनऊ के जिला जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में केस दर्ज कराया गया था।
एफआईआर में कहा गया था कि मुख्तार अंसारी ने उन्हें धमकी थी। जेलर ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्होंने मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी का निर्देश दिया था। मुख्तार अंसारी ने इस मामले में उन्हें धमकी दी। पिस्तौल तान दी। दुर्व्यवहार किया। हाई कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों को दोषी ठहराया। कोर्ट ने मुख्तार का खूंखार अपराधी और माफिया डॉन के रूप में माना। उसके खिलाफ 60 से अधिक केस दर्ज हैं। मुख्तार अंसारी अभी बांदा जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कुछ तो राहत मिली है। हालांकि, कोर्ट के आदेश के आधार पर भी उनके जेल से बाहर निकलने की संभावना नहीं है।
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