प्रतीकात्मक तस्वीर
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पारा में गरीबों के घटिया क्वालिटी के दो हजार से अधिक घर बनवाने वाले एलडीए के 13 अफसरों-इंजीनियरों से तीन करोड़ और ठेकेदार से 60 लाख के नुकसान की वसूली होगी। इनमें एक पीसीएस अफसर भी है।
एलडीए ने देवपुर पारा में रिक्शा चालकों व दैनिक कमाई करने वालों के लिए वर्ष 2000-2001 में 59 बीघे जमीन पर आश्रयहीन योजना शुरू की थी। इसका काम करवा रहे 13 अफसरों-इंजीनियरों और ठेकेदार ने अपनी जेब भरने के लिए गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2005 में तैयार हुए मकानों की हालत देख इनमें रहने वालों से कभी भी हादसा होने का खतरा बताया गया। ऐसे में एलडीए बोर्ड ने इन घरों को ध्वस्त करने का प्रस्ताव पास कर शासन से मंजूरी ले ली। वर्ष 2014 में घरों को गिराने का सिलसिला शुरू हुआ।
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हाईकोर्ट के आदेश पर एलडीए ने प्रकरण की जांच की। इसमें दोषी पाए गए 13 अफसरों-इंजीनियरों पर कार्रवाई के लिए 26 दिसंबर को शासन को रिपोर्ट सौंपी गई। इनमें अधिकतर सेवानिवृत्त अफसर एवं इंजीनियर शामिल हैं। इनसे तीन करोड़ और 60 लाख की वसूली ठेकेदार से होगी। हालांकि, एलडीए के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द ठेकेदार से वसूली करना है। इसकी पड़ताल चल रही है कि वह अभी एलडीए में काम कर रहा है या नहीं।
दोषी पाए गए अफसर व इंजीनियरों में पूर्व नगर नियोजक भारत भूषण, पूर्व मुख्य अभियंता आरपी शुक्ला, ललित किशोर मेहरोत्रा, विवेक मेहरा, एके गुप्ता, अधिशासी अभियंता एनएस दत्ता, आरएल सरोज, फुल्लन राय, सहायक अभियंता एसएस वर्मा, अवर अभियंता बीके राय, वीेरेंद्र पांडय, देवेंद्र गोस्वामी एवं एक पीसीएस व प्राधिकरण सेवा के अफसर शामिल हैं। अवर अभियंता बीके राय को छोड़ अन्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक मुख्य अभियंता की मौत भी हो चुकी है।
वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि पारा आश्रयहीन योजना के तहत गरीबों के घर बनाने में गुणवत्ता को दरकिनार करने के मामले में हुई जांच में 13 अफसर व इंजीनियर दोषी पाए गए हैं। इन पर कार्रवाई की सिफारिश करते हुए शासन को 26 दिसंबर को जांच रिपोर्ट सौंपी गई है। नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए सबसे वसूली होगी।
विस्तार
पारा में गरीबों के घटिया क्वालिटी के दो हजार से अधिक घर बनवाने वाले एलडीए के 13 अफसरों-इंजीनियरों से तीन करोड़ और ठेकेदार से 60 लाख के नुकसान की वसूली होगी। इनमें एक पीसीएस अफसर भी है।
एलडीए ने देवपुर पारा में रिक्शा चालकों व दैनिक कमाई करने वालों के लिए वर्ष 2000-2001 में 59 बीघे जमीन पर आश्रयहीन योजना शुरू की थी। इसका काम करवा रहे 13 अफसरों-इंजीनियरों और ठेकेदार ने अपनी जेब भरने के लिए गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2005 में तैयार हुए मकानों की हालत देख इनमें रहने वालों से कभी भी हादसा होने का खतरा बताया गया। ऐसे में एलडीए बोर्ड ने इन घरों को ध्वस्त करने का प्रस्ताव पास कर शासन से मंजूरी ले ली। वर्ष 2014 में घरों को गिराने का सिलसिला शुरू हुआ।
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हाईकोर्ट के आदेश पर एलडीए ने प्रकरण की जांच की। इसमें दोषी पाए गए 13 अफसरों-इंजीनियरों पर कार्रवाई के लिए 26 दिसंबर को शासन को रिपोर्ट सौंपी गई। इनमें अधिकतर सेवानिवृत्त अफसर एवं इंजीनियर शामिल हैं। इनसे तीन करोड़ और 60 लाख की वसूली ठेकेदार से होगी। हालांकि, एलडीए के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द ठेकेदार से वसूली करना है। इसकी पड़ताल चल रही है कि वह अभी एलडीए में काम कर रहा है या नहीं।
दोषी पाए गए अफसर व इंजीनियरों में पूर्व नगर नियोजक भारत भूषण, पूर्व मुख्य अभियंता आरपी शुक्ला, ललित किशोर मेहरोत्रा, विवेक मेहरा, एके गुप्ता, अधिशासी अभियंता एनएस दत्ता, आरएल सरोज, फुल्लन राय, सहायक अभियंता एसएस वर्मा, अवर अभियंता बीके राय, वीेरेंद्र पांडय, देवेंद्र गोस्वामी एवं एक पीसीएस व प्राधिकरण सेवा के अफसर शामिल हैं। अवर अभियंता बीके राय को छोड़ अन्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक मुख्य अभियंता की मौत भी हो चुकी है।
वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि पारा आश्रयहीन योजना के तहत गरीबों के घर बनाने में गुणवत्ता को दरकिनार करने के मामले में हुई जांच में 13 अफसर व इंजीनियर दोषी पाए गए हैं। इन पर कार्रवाई की सिफारिश करते हुए शासन को 26 दिसंबर को जांच रिपोर्ट सौंपी गई है। नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए सबसे वसूली होगी।
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