मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर की संपत्तियों को खुर्द-बुर्द कर बेचने का आरोप लगा है। इस मामले में परिवार के सदस्य ने अपने ही भाई और द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी सहित छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। यह मुकदमा मुंबई निवासी ज्ञानेंद्र भगवानदास सेठ ने दर्ज कराया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
कोतवाल विजय कुमार सिंह ने बताया कि ज्ञानेंद्र भगवानदास सेठ ने मुकदमे में कहा है कि राजपुर बांगर वृंदावन की संपत्ति खसरा 219, 644, 650, 670 क्षेत्रफल कुल 5.172 हेक्टेयर सम्मिलित थी, जो ठाकुर द्वारिकाधीश की बगीची के नाम से जानी जाती है। खतौनी में भी यह ठाकुरजी का भी नाम दर्ज है।
षडयंत्र के तहत किया गया राजीनामा
इस जमीन को हड़पने के इरादे से द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी ब्रजेश कुमार (निवासी कांकरौली राजस्थान) ने सेठ विजय कुमार जैन पुत्र स्वर्गीय सेठ भगवानदास व सुधेन्दु प्रकाश गौतम आदि से षड्यंत्र कर आपसी राजीनामा कर गोस्वामी ब्रजेश कुमार द्वारा सुधेन्दु प्रकाश गौतम को अपना पावर ऑफ अटॉर्नी बनाया।
संपत्ति हड़पने के लिए जमीन में द्वारावती नाम से एक रिहायशी कॉलोनी का निर्माण किया। इसे बेचने आदि के लिये द्वारावती एसोसिएट्स नाम से सोसाइटी बनाकर इसमें राजीव अग्रवाल निवासी बल्देवपुरी महोलीरोड को पार्टनर बनाया। ब्रजेश कुमार ने अपने ही पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर सुधेन्दु को द्वितीय पक्ष बनाकर आपस में एक एमओयू बनवाया और डीड लिखकर जमीन बेचने और विकसित करने को बनाया।
बिना अधिकार किया गया गलत समझौता
आरोप है कि भगवान दास सेठ विजय कुमार ने षड्यंत्र के तहत अनुचित लाभ लेकर एमओयू के संबंध में बिना अधिकार गलत समझौता कर अनापत्ति प्रमाणपत्र सुधेन्दु व ब्रजेश गोस्वामी को दे दिया, जिसकी फर्जी कूटरचना की गई। इसी के तहत राजीव अग्रवाल को पार्टनर बनाया, जिसने राजकुमार निवासी सुंदरवन कॉलोनी बालाजीपुरम को अपना पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर बनाया। इन सभी ने खुद को लाभान्वित और ठाकुरजी को नुकसान पहुंचाने की गरज से तमाम बैनामे विभिन्न लोगों को कर खरीदारों से आयी धनराशि को मंदिर के खाते में जमा नहीं की बल्कि खुद हड़प ली।
सेठ गोविंददास द्वारा लिखी डीड 16 मई 1873 में कोई भी पक्ष या उनका कोई भी वारिस इस संपत्ति को किसी भी प्रकार अंतरित नहीं कर सकता है। संपत्ति से होने वाली आय केवल मंदिर कार्य में खर्च की जाएगी और मंदिर के खाते में ही धनराशि जमा होगी।
यह भी आरोप है कि सेठ विजय कुमार इस संपत्ति को सेठ गोविंददास के वारिस की हैसियत से कोई समझौता या अनापत्ति नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने वैष्णव संप्रदाय धर्म त्यागकर जैन धर्म स्वीकार कर लिया है, जबकि डीड में वैष्णव संप्रदाय को मानने वाला ही सेठ गोविंददास का वारिस हो सकता है। इस संबंध में द्वारिकाधीश मंदिर के विधि सलाहकार व मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि रिपोर्ट तथ्य से परे हैं। जांच में मंदिर प्रबंधन पुलिस को पूरे तथ्य उपलब्ध कराएगा।
मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर की संपत्तियों को खुर्द-बुर्द कर बेचने का आरोप लगा है। इस मामले में परिवार के सदस्य ने अपने ही भाई और द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी सहित छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। यह मुकदमा मुंबई निवासी ज्ञानेंद्र भगवानदास सेठ ने दर्ज कराया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
कोतवाल विजय कुमार सिंह ने बताया कि ज्ञानेंद्र भगवानदास सेठ ने मुकदमे में कहा है कि राजपुर बांगर वृंदावन की संपत्ति खसरा 219, 644, 650, 670 क्षेत्रफल कुल 5.172 हेक्टेयर सम्मिलित थी, जो ठाकुर द्वारिकाधीश की बगीची के नाम से जानी जाती है। खतौनी में भी यह ठाकुरजी का भी नाम दर्ज है।
षडयंत्र के तहत किया गया राजीनामा
इस जमीन को हड़पने के इरादे से द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी ब्रजेश कुमार (निवासी कांकरौली राजस्थान) ने सेठ विजय कुमार जैन पुत्र स्वर्गीय सेठ भगवानदास व सुधेन्दु प्रकाश गौतम आदि से षड्यंत्र कर आपसी राजीनामा कर गोस्वामी ब्रजेश कुमार द्वारा सुधेन्दु प्रकाश गौतम को अपना पावर ऑफ अटॉर्नी बनाया।
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