लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगर निकायों के वार्डों के लिए जारी किए गए आरक्षण रोस्टर पर कानूनी लड़ाई पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब 27 दिसम्बर को कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा। बीते शुक्रवार को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई समय की कमी के चलते एक बार फिर टल गई थी जिसको लेकर 24 दिसंबर दिन शनिवार को सुनवाई हुई है।
दरअसल 24 दिसंबर से कोर्ट की शीतकालीन की छुट्टियां भी शुरू हो गई है। वहीं बीते शुक्रवार को समय की कमी के चलते सुनवाई नहीं हो पाई थी। जिसपर कोर्ट ने छुट्टियां होने के बावजूद नगर निकाय ओबीसी आरक्षण के मामले में सुनवाई पूरी की। इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सबसे पहले याची पक्ष को सुना। वहीं दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि दोनो पक्षों की सुनवाई आज पूरी हो गई है, 27 दिसम्बर मंगलवार को कोर्ट अपना जजमेंट देगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने अपने हलफनामे में अपने एक्शन को डिफेंड किया कि जो हमने नोटिफिकेशन जारी किया है वो बिल्कुल सही तरीके से जारी किया है। लेकिन कोर्ट उनसे बहुत ज्यादा सेटिस्फाइड नहीं थी। उन्होंने बताया कि कोर्ट का कहना है कि आपने जो ये एक्सरसाइज की है उसका कोई डाटा नहीं है। बिना डाटा के ये एक्सरसाइज पूरी कैसे कर ली है। कोर्ट उनसे डाटा मांग रही थी लेकिन सरकार ने कोर्ट के समक्ष कोई डाटा प्रस्तुत नही किया है।
उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान पिछले चुनाव का हवाला दिया गया था साथ ही कहा गया कि 2014 और 2017 के चुनाव में भी बहुत सारे नियमों का उल्लंघन हुआ था। इसको लेकर न्यायालय में बहुत से प्रकरण भी आये थे। उन्होंने कहा कि उसी डाटा के आधार पर ये चुनाव भी कराने का प्रयास कर रहे हैं। इसी वजह से न्यायालय में चुनौती दी गई है।
बता दें, यूपी में निकाय चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी तैयारियों में जुटी है। इस बार प्रदेश की करीब 760 नगरीय निकायों में चुनाव होना है। इसके लिए राज्य सरकार ने सीटों का आरक्षण भी जारी कर दिया है। प्रदेश की नगर निगमों के मेयर, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष और पार्षदों के आरक्षण को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसको लेकर पेंच फंस गया था। वहीं ओबीसी को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने और सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसपर कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इनपुट- अभय राठौर
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