अयोध्या: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या में रहने वाले अपने विश्वासपात्र विश्वनाथ पाल के हाथों में पार्टी की प्रदेश बागडोर सौंप दी है। 20 दिसंबर को उनका जन्मदिन था और इसी दिन शाम को उन्हें शानदार तोहफा मिला। विश्वनाथ पाल अयोध्या में थाना पूरा कलंदर इलाके के अनंतपुर गांव के रहने वाले हैं। 1973 में एक किसान परिवार में उनका जन्म हुआ। वह किसान परमेश्वर दीन पाल की सबसे छोटी संतान हैं। गरीबी और संघर्षों के बीच उन्होंने फैजाबाद की यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई पूरी की थी। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में हुई।
विश्वनाथ पाल का कहना है कि उनकी जिंदगी बहुत संघर्ष भरी रही है। बसपा संस्थापक कांशीराम के विचारों से प्रभावित होकर 90के दशक में उन्होंने बसपा कार्यकर्ता के तौर पर राजनीति में कदम रखा। धीरे धीरे वह बसपा प्रमुख मायावती के विश्वासपात्र बन गए। मायावती ने उन्हें पार्टी के विभिन्न पदों पर रहकर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी जिस पर वे खरे उतरे।
कुशवाहा और राजभर के बाद अब पाल बने बसपा का चेहरा, मायावती की अति पिछड़ों को जोड़ने की नई रणनीति क्या सफल होगी?
फिलहाल अयोध्या मंडल में जोनल कोऑर्डिनेटर के पद पर थे
विश्वनाथ पाल को 1996 में पार्टी सेक्टर अध्यक्ष, विकास नगर के अध्यक्ष, अयोध्या के जिला उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, अयोध्या मंडल के सचिव पद रहने के बाद बसपा के भाईचारा कमेटी की जिम्मेदारी सौंपी गई। जब वे फैजाबाद और देवीपाटन मंडल में बसपा भाईचारा के कोर्डिनेटर बने तो ओबीसी वर्ग को पार्टी को जोड़ने में जुटे रहे। इतना ही नहीं, मिर्जापुर, सोनभद्र जैसे इलाके के प्रभारी के तौर पर भी काम देख रहे थे। इसके अलावा वे मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में भी बसपा के लिए काम कर चुके हैं। मौजूदा समय में वे अयोध्या मंडल में बसपा के जोनल कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर रहे थे।
चुनावी मैदान में नहीं मिली सफलता
विश्वनाथ पाल जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी लड़ चुके हैं। अयोध्या के मसौधा ब्लाक से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े पर वे हार गए। इसके बाद वे संगठन के काम में लगे रहे। विश्वनाथ पाल बसपा के पुराने, मिशनरी, कर्मठ और वफादार कार्यकर्ता हैं। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वो विशेषकर अति पिछड़ी जातियों को बसपा से जोड़कर पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए जान से काम करेंगे। इसी उम्मीद को लेकर उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
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