Mathura News : भगवान बांके बिहारी ने प्राकट्योत्सव के अवसर पर पीताम्बरी पोशाक धारण की। दिल्ली के भक्तों ने यह पोशाक भेंट की। भगवान बांके बिहारी की पोशाक क़रीब 2 लाख रुपये की पोशाक अर्पित की है।
हाइलाइट्सदिल्ली के भक्तों ने भगवान को अर्पित की पीले रंग की पोशाकप्राकट्योत्सव पर 1.50 लाख भक्त आने की संभावना500 किलो फूलों से सजाया गया मंदिरमथुरा:भगवान बांके बिहारी की नगरी वृंदावन में उनका प्राकट्योत्सव बड़े ही हर्सोल्लास के साथ मनाया गया। भगवान का महाभिषेक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। वहीं, ठाकुर जी का महाभिषेक दूध, दही, शहद, बूरा, घी से किया गया। मंदिर में ठाकुर के बाल रूप को पीताम्बरी पोशाक धारण कराई गई। दिल्ली के भक्तों ने करीब 2 लाख रुपये की पोशाक अपने आराध्य को अर्पित की।
प्राकट्योत्सव पर 1.50 लाख भक्त आने की संभावनाधर्म नगरी वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी का प्राकट्योत्सव बड़े ही धूमधाम का मनाया गया। भगवान बांके बिहारी के प्राकट्योत्सव के अवसर पर उनका पंचामृत से महाभिषेक किया गया। ठाकुर बांके बिहारी के महाभिषेक में 350 किलो दूध, 150 किलो दही, शहद, बूरा और गाय का घी इस्तेमाल किया गया। भगवान बांके बिहारी को 2 लाख रुपये की कीमत की पीतांबरी रंग की पोशाक धारण कराई गई। यह पोशाक दिल्ली के रहने वाले भक्तों ने उन्हें अर्पित की है। वहीं, एक अमेरिका के रहने वाले भक्त ने 251 डॉलर की माला भेजी है। भगवान बांके बिहारी का आज बाल रूप में प्राकट्योत्सव मनाया गया है।
बता दें कि केसर युक्त मूंग दाल के हलवे का ठाकुर जी को भोग अर्पित किया गया। मंदिर को 500 किलो फूलों से सजाया गया। वहीं, रंग बिरंगी लाइट भी मंदिर पर लगवाई गईं। ठाकुर जी के प्राकट्योत्सव को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु भगवान बांके बिहारी के दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचेंगे। इस बार बांके बिहारी के 542वां प्राकट्योत्सव मनाया गया है। आज ही के दिन 542 वर्ष पहले स्वामी हरिदास जी ने अपनी संगीत साधना से भगवान बांके बिहारी के बाल रूप को प्रकट किया था।11 हज़ार दीयों से जगमगा उठा मंदिर प्रांगणभगवान बांके बिहारी की प्राक्टय स्थली निधिवन है। सोमवार सुबह 4:00 बजे मंदिर के पट खोलें गए। भक्तों ने मंदिर की साफ सफाई की। इसके बाद श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। मंदिर के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रकट स्थली का करीब 350 किलो दूध, 150 किलो दही के अलावा देसी घी, शहद, बूरा से पंचामृत अभिषेक किया। मंदिर प्रांगड़ में 11 हज़ार दीये भी जलाए गए। पूरा मंदिर प्रांगड़ जगमगा उठा।
रिपोर्ट- निर्मल राजपूत
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