लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिवपाल यादव की सुरक्षा घेरे को कम कर दिया है। शिवपाल यादव से जेड श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई है। उन्हें वाई श्रेणी का सुरक्षा घेरा मुहैया कराया गया है। मई 2017 में शिवपाल यादव और सीएम योगी आदित्यनाथ की एक छोटी सी मुलाकात हुई थी। इसके बाद उनके सुरक्षा घेरे को जेड श्रेणी में बदल दिया गया था। इसी साल शिवपाल यादव ने अखिलेश से नाता तोड़कर प्रगतिशील समाज पार्टी बना ली थी। शिवपाल और अखिलेश के बीच की दूरी के बाद शिवपाल ने अपनी सुरक्षा को लेकर सीएम योगी से मुलाकात की थी। प्रदेश में योगी सरकार गठन के बाद शिवपाल से जेड श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई थी। बाद में उसे बहाल किया गया। अब मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव के बीच शिवपाल और अखिलेश की नजदीकी के बाद उनके सुरक्षा घेरे में कमी कर दी गई। इसके साथ ही यह सवाल उठने लगा है कि आखिर एक वीआईपी को सुरक्षा घेरा कैसे और किस आधार पर मिलता है? आइए, इसे समझते हैं।
पहले हटाई, फिर बहाल की, फिर हटाई सुरक्षा
शिवपाल यादव को वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने वाई से जेड श्रेणी की सुरक्षा कवर से दोबारा लैस किया था। योगी सरकार ने ही मार्च 2017 में बीजेपी सरकार बनने के बाद शिवपाल समेत कई नेताओं की सुरक्षा को कम कर दिया था। मई 2017 में सीएम योगी से शिवपाल ने संक्षिप्त मुलाकात की। बात की। फिर उनका पुराना जेड श्रेणी का सुरक्षा घेरा बहाल कर दिया गया। उस समय में इसका सबसे बड़ा कारण उनकी समाजवादी पार्टी से अलगाव की रणनीति बताया जा रहा था। समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद शिवपाल ने खुद की सुरक्षा को लेकर अंदेशा जताया था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले को समझते हुए सिक्युरिटी कवर में बदलाव कर दिया। लेकिन, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल और अखिलेश यादव एकजुट होते दिखे हैं।
समाजवादी पार्टी के साथ उनकी निकटता लगातार बढ़ रही है। मैनपुरी में घर-घर जाकर शिवपाल यादव, बहू डिंपल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं। ऐसे में उन पर खतरा का जोखिम कम होना पाया गया है। राज्य सुरक्षा समिति की बैठक में तमाम मसलों पर गौर करते हुए शिवपाल की सुरक्षा कम किए जाने की बात कही जा रही है। हालांकि, इसके पीछे का राजनीतिक मकसद भी लोग निकालने लगे हैं।
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सुरक्षा समिति तय करती है जोखिम
किसी भी नेता या अति विशिष्ट व्यक्ति को सुरक्षा गहरा किए जाने के संबंध में राज्य स्तर पर सुरक्षा समिति की बैठक में जोखिम का स्तर तय किया जाता है। नेताओं और वीआईपी की ओर से सुरक्षा की मांग की जाती है। इसके आधार पर राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति बैठक में उनके आवेदनों पर विचार किया जाता है। सरकार के स्तर पर फैसला लिया जाता है। गृह विभाग की ओर से अधिसूचना जारी की जाती है। इसके बाद संबंधित जिला के एसपी की ओर से अति विशिष्ट नेता या अधिकारी को सुरक्षा कवर उपलब्ध कराया जाता है।
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सरकार की ओर से होती है नियमित समीक्षा
यूपी सरकार की ओर से वीआईपी को सुरक्षा घेरा दिए जाने और सुरक्षा जोखिम की नियमित समीक्षा होती है। सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से गृह विभाग के प्रमुख सचिव को जरूरत के आधार पर नेताओं को सुरक्षा देने का निर्देश पहले ही दिया था। इस आधार पर सभी अति विशिष्ट और विशिष्ट लोगों को मिली विभिन्न श्रेणियों की सुरक्षा का रिव्यू लगातार होता रहा है। गृह विभाग की बैठक में नेताओं और मंत्रियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा होती रही है। इस बार सुरक्षा घेरे की समीक्षा में शिवपाल यादव के सुरक्षा घेरे को घटाने का फैसला लिया गया है।
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केंद्र की ओर से जेड सिक्यूरिटी
नेताओं, वीआईपी और अधिकारियों के सुरक्षा जोखिम की समीक्षा के बाद सबसे बेहतर सुरक्षा घेरा यानी जेड और जेड प्लस सिक्यूरिटी दी जाती है। मुख्यमंत्री, कैबिनेट रैंक के मंत्रियों, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस और कुछ अधिकारियों को ही जेड या फिर जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है। जेड प्लस सिक्युरिटी की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की होती है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के लिए जरूरी गाइडलाइन जारी की जाती है।
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इन श्रेणियों में मिलती है VIP को सुरक्षा
एसपजी: स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की कैटेगरी की सिक्युरिटी प्रधानमंत्री और उनके परिवारवालों को दी जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री के लिए यह 6 महीने तक रहती है। इसके अलावा स्पेशल लॉ के तहत यह सुविधा राजीव गांधी के परिवारजनों को दी गई है।
जेड प्लस श्रेणी: जेड प्लस श्रेणी के सुरक्षा घेरे में 36 जवानों को तैनात किया जाता है। इनमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो और पुलिस अधिकारी होते हैं। एनएसजी कमांडो मार्शल आर्ट माहिर होते हैं। वे बगैर हथियारों के भी दुश्मन से लड़ सकते हैं। वो एमपी-5 गन्स और कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस होते हैं। काफिले में जैमर भी होता है।
जेड श्रेणी: सुरक्षा जोखिम अगर जेड प्लस से कुछ कम होने पर जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी जाती है। इसमें सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ या पुलिस के 22 जवान तैनात रहते हैं। इनमें 5 एनएसजी कमांडो के साथ पुलिस ऑफिसर्स होते हैं।
वाई श्रेणी: वाई श्रेणी के सुरक्षा घेरे में 11 जवान रहते हैं। इनमें 1 या 2 एनएसजी कमांडो होते हैं।
इएक्स श्रेणी के सुरक्षा घेरे में 2 जवान रहते हैं। ये सामान्य तौर पर राज्य पुलिस के होते हैं। इन्हें पीएसओ कहा जाता है।
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