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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल सुधार एवं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह भी बताए कि तबादला नीति को सही ढंग से लागू किया गया है या नहीं। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने सच्चिदानंद की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में प्रदेश की जेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार व उसके सुधारीकरण तथा लंबे समय से जेलों में बंद कैदियों से मधुर संबंध न बन सके इसलिए तबादला होते रहने की मांग की गई है। अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ व जयशंकर मिश्र ने याचिका पर बहस की। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जेलों में तबादला नीति है। जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए। जिस पर कोर्ट ने दो हफ्ते में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल सुधार एवं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह भी बताए कि तबादला नीति को सही ढंग से लागू किया गया है या नहीं। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने सच्चिदानंद की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में प्रदेश की जेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार व उसके सुधारीकरण तथा लंबे समय से जेलों में बंद कैदियों से मधुर संबंध न बन सके इसलिए तबादला होते रहने की मांग की गई है। अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ व जयशंकर मिश्र ने याचिका पर बहस की। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जेलों में तबादला नीति है। जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए। जिस पर कोर्ट ने दो हफ्ते में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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