गाजीपुर: कृषि विभाग ने पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। बार-बार पराली जलाने की हिमाकत करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान रखा गया है। कृषि विभाग किसानों को पराली जलाने को लेकर हतोत्साहित करने की योजना पर काम करते हुए उन्हें पराली को डीकंपोस्ट कर आर्गेनिक खाद बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। पराली निस्तारण के लिए प्रदेश स्तर और जारी दिशानिर्देश के साथ ही कृषि विभाग ने स्थानीय स्तर पर भी कुछ नई पहल की है।
पराली निस्तारण पर सरकार की वर्तमान योजनाओं को लेकर उपनिदेशक कृषि अतिंद्र सिंह ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि किसानों से उनके विभाग की ओर से अनुरोध किया जा रहा है। कहा गया है कि धान की कटाई के बाद खेत में फसल अवशेष नहीं जलाएं। इसके स्थान पर फसल अवशेष को विभिन्न कृषि यंत्रों के माध्यम से मिट्टी में मिलाएं। कृषि भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा निरंतर घट रही है। ऐसे में पराली (कृषि अवशेष) की मात्रा मिलाने से मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ेगी। पराली जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण फैलेगा, साथ ही क्रॉप फ्रेंडली माइक्रो ऑर्गेनिज्म मिट्टी के मित्र जीव भी नष्ट हो जाते है। पराली जलाने से मृदा तापमान में भी इजाफा होता है, जिसका फसलों पर नकारात्मक असर पड़ता है। किसान धान की पराली को मृदा में मिलाकर कार्बनिक खाद बना सकते है और इससे पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में सार्थक सहयोग कर सकते है।
डीडीए सिंह ने कहा कि उनके विभाग की ओर से जनपद के समस्त विकास खंडों में स्थित कृषि निवेश केंद्र पर बायो डिकंपोजर का निशुल्क वितरण किया जा रहा है। कृषक कृषि निवेश केंद्र से संपर्क कर बायो डिकंपोजर प्राप्त कर फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाने की प्रक्रिया को आसानी से पूरी कर सकते है। फसल, अवशेष को मिट्टी में मिलाने के लिए सुपर सीडर या मल्चर का प्रयोग करना भी लाभकारी होगा। इसके साथ ही विभाग ने सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के बिना खेतों में फसलों को काटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कंबाइन मशीन के ऊपर भी रोक लगाया है।
बिना एसएमएस सिस्टम वाले कंबाइन मशीनों को कटाई करते हुए पाए जाने पर उन्हें सीज किया जा सकता है। एसएमएस वाले कंबाइन मशीन खेतों में ही पराली के छोटे-छोटे टुकड़े कर देते हैं, जिससे उनका डीकंपोजिशन आसान हो जाता है। प्रदेश सरकार से मिली गाइडलाइंस के अलावा कृषि विभाग ने स्थानीय स्तर पर भी पराली निस्तारण के बेहतर विकल्पों को साझा करने के क्रम में किसानों को कुछ नई व्यवस्थाएं देने की योजना बनाई हैं। इसके तहत कृषि विभाग ने जनपद के कुछ औद्योगिक इकाइयों से भी संपर्क किया है। औद्योगिक इकाइयों को कृषक फोन कर खेतों से पराली उठाने के लिए संपर्क कर सकते हैं। यह औद्योगिक इकाइयां पराली को जलाकर बिजली उत्पादन के साथ ही अन्य औद्योगिक कार्य निष्पादित करती हैं।
डीडीए सिंह ने बताया कि किसान किसी भी परेशानी की सूरत में सीधे उनके विभाग से संपर्क कर सकते हैं। जनपद के कृषि विज्ञान केंद्रों से भी किसान मदद ले सकते हैं। पराली जलाने की मॉनिटरिंग के लिए 48 अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। इसमें राजस्वकर्मियों के साथ कृषि विभाग के स्टाफ की भी ड्यूटी लगाई गई है। दोनों विभाग के कर्मचारी-अधिकारी आपस में तालमेल कर पराली को जलाने से किसानों को रोकेंगे। अगर किसान बार-बार पराली निस्तारण के नियमों की अनदेखी कर पराली को जलाते हैं तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर भी विभाग विचार कर सकता है।
रिपोर्ट – अमितेश कुमार सिंह
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