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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी व बोगस बिजली बिल जारी करने वाले पॉवर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव एनर्जी व प्रबंध निदेशक पॉवर कॉरपोरेशन उत्तर प्रदेश को बोगस बिजली बिल की निगरानी के लिए तीन माह में तंत्र विकसित करने को कहा है।
कोर्ट ने बोगस बिल के खिलाफ दाखिल याचिकाएं दस हजार हर्जाने के साथ आंशिक रूप से स्वीकार कर ली हैं। साथ ही वसूली कार्रवाई में हवालात में कैद मिर्जापुर के सतीश केसरवानी को अलग से बतौर मुआवजा 25 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना व मुआवजे का एक माह में भुगतान किया जाय।
कोर्ट ने कहा, प्रबंध निदेशक ने बोगस बिल जारी किए जाने को स्वीकार किया है। इस पर कोर्ट ने याचियों को जारी लाखों रुपये के बिजली बिल रद्द कर दिए। कोर्ट ने बिजली बिलों का ऑडिट कराने का भी आदेश दिया है। कहा है कि अगले एक माह में सक्षम प्राधिकारी ऑडिट का परीक्षण करें।
कोर्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एनर्जी व प्रबंध निदेशक पॉवर कॉरपोरेशन को प्रेषित करने का भी महानिबंधक को निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने पुत्तन, जगदीश प्रसाद, सतीश केसरवानी तथा ब्रह्मदीन की याचिकाओं पर दिया है। याचिकाएं विभिन्न विद्युत वितरण खंडों की हैं।
एक याची प्रतिमाह बिल जमा कर रहा था। जनवरी 2017 से नवंबर 2021 तक का बकाया 31 लाख 47 हजार 731 रुपये बकाये की वसूली नोटिस दिया गया। एक याची ने ट्यूबवेल कनेक्शन की अर्जी दी। 17,145 रुपये जमा किया लेकिन उसे न तो कनेक्शन दिया गया और न ही पोल लगाया गया। उसी तारीख 26 फरवरी 2008 को चार लाख 83 हजार, 103 रुपये की वसूली नोटिस जारी कर दिया गया।
एक याची का कनेक्शन ही काट दिया गया। 25 फरवरी 2003 को स्थायी विच्छेदन कर दिया गया। 9444 रुपये का बकाया था. जिसका भुगतान किया जाना था। 19 अगस्त 21 को चार लाख, एक हजार, 278 रुपये की वसूली नोटिस दी गई। तहसीलदार सदर मिर्जापुर की सख्ती पर 82 हजार जमा कराया। इसके बाद चार लाख, 95 हजार 951 रुपये की वसूली नोटिस दी गई। उसे हवालात में भी बंद किया गया।
एक याची को 11 जुलाई 14 को कनेक्शन दिया गया। 16 जनवरी 19 को मीटर भी लग गया और उसी तारीख पर एक लाख, 59 हजार 598 रुपये का वसूली नोटिस पकड़ा दिया गया। विभाग ने गलती मानी। कहा, सही बिल 61191 ही है। इस पर कोर्ट ने फर्जी बिल बनाने वाले अधिकारियों पर एक्शन लेने का निर्देश दिया। कहा, जो विधि विरुद्ध कार्य कर रहे, उन्हें भुगतना ही पड़ेगा। कोई भी लोक संस्था मनमानी नहीं कर सकती।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी व बोगस बिजली बिल जारी करने वाले पॉवर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव एनर्जी व प्रबंध निदेशक पॉवर कॉरपोरेशन उत्तर प्रदेश को बोगस बिजली बिल की निगरानी के लिए तीन माह में तंत्र विकसित करने को कहा है।
कोर्ट ने बोगस बिल के खिलाफ दाखिल याचिकाएं दस हजार हर्जाने के साथ आंशिक रूप से स्वीकार कर ली हैं। साथ ही वसूली कार्रवाई में हवालात में कैद मिर्जापुर के सतीश केसरवानी को अलग से बतौर मुआवजा 25 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना व मुआवजे का एक माह में भुगतान किया जाय।
कोर्ट ने कहा, प्रबंध निदेशक ने बोगस बिल जारी किए जाने को स्वीकार किया है। इस पर कोर्ट ने याचियों को जारी लाखों रुपये के बिजली बिल रद्द कर दिए। कोर्ट ने बिजली बिलों का ऑडिट कराने का भी आदेश दिया है। कहा है कि अगले एक माह में सक्षम प्राधिकारी ऑडिट का परीक्षण करें।
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