ठंडे देशों से प्रवासी पक्षियों की आमद से हस्तिनापुर सेंचुरी गुलजार है। करीब 2073 वर्ग किमी में फैली हस्तिनापुर सेंक्चुअरि मेहमान परिदों के लिए संजीवनी मानी जाती है। यहां की दलदली झीलें प्रवासी पक्षियों को खूब लुभाती हैं।
रूस, अफ्रीका, जापान, साइबेरिया, कजाकिस्तान, चीन, भूटान आदि देशों में सर्दी के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी होने से पक्षी प्रवास पर निकल पड़ते हैं। करीब चार महीने ये मेहमान परिंदे हस्तिनापुर में रहते है और यहां प्रजनन कर अपना कुनबा बढ़ाते हैं। हस्तिनापुर सेंक्चुअरि में करीब दस स्थान हैं जहां एशिया एवं यूरोप के साथ अमेरिका महाद्वीप के भी पक्षी पहुंचते हैं। इनके पहुंचते ही हस्तिनापुर सेंक्चुअरि में कलरव गूंजने लगता है। वन विभाग के रेंजर नवरत्न सिंह ने बताया कि नवंबर के अंत तक हस्तिनापुर में प्रवासी पक्षियों की संख्या और बढे़ेगी। वन विभाग इनकी सुरक्षा के लिए सतर्क है।
ठंड के दस्तक देते ही हस्तिनापुर वन्य जीव विहार (सेंक्चुरी) विदेशी पक्षियों से गुलजार होने लगा है। यहां का अनुकूल मौसम और प्राकृतिक वातावरण 25 से 30 हजार किलोमीटर दूर से इन पक्षियों को आने के लिए मजबूर कर देता है। हिमालय पर्वत श्रृंखला भी इनको आने से नहीं रोक पाती। नवंबर के बाद रूस और चीन में अधिक ठंड हो जाने से ये पक्षी कुछ महीने प्रवास के लिए भारत आते हैं। इनके आने से सेंक्चुरी का प्राकृतिक सौंदर्य और भी अनुपम होने लगा है।
हस्तिनापुर सेंक्चुरी की झीलों में इन पक्षियों को आसानी से देखा जा सकता है। सुबह आठ बजते ही सेंक्चुरी विदेशी मेहमानों के कलरव से गूंज उठती है। हजारों मील दूर से आने वाले मेहमान परिंदे इस दलदली क्षेत्र को खासा पसंद करते हैं। यहां के अनुकूल मौसम में वे प्रजनन करते हैं। चार माह प्रवास के बाद ये पक्षी अपने बच्चों के साथ वतन वापसी करते हैं।
करीब 2073 वर्ग किमी क्षेत्रफल में बसे हस्तिनापुर वन्य जीव विहार में करीब 10 स्थान ऐसे हैं, जहां एशिया एवं यूरोप के साथ अमेरिका महाद्वीप के भी पक्षी पहुंचते हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले साल यहां कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने पक्षियों की गणना की थी। करीब 50 प्रजातियों के पक्षियों की उपलब्धता पाई गई थी।
सेंक्चुरी में कई प्रकार के भोजन
विदेशी पर्यटक पक्षियों को पसंद आने वाले कई प्रकार के भोजन उन्हें हस्तिनापुर सेंक्चुरी में मिल जाते हैं। झील में दर्जनभर किस्म की घासों की उपलब्धता है। इनमें तमाम कीड़े पनपते हैं। मेहमान पक्षियों के लिए इतने प्रकार के व्यंजन देश के अन्य किसी दलदली जगहों में उपलब्ध नहीं हैं।
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