अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबाद: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के पांचवें चरण के कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। अंडरपास और सात स्थानों पर पुलिया बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। 14 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट को दो साल के भीतर पूरा किए जाने का लक्ष्य दिया है। एनएचएआई ने कार्यदायी संस्था ने हर सप्ताह ही कार्य प्रगति की रिपोर्ट देख रहा है। इससे एनएचएआई के अधिकारियों की नजर में यह प्रोजेक्ट रहेगा। निर्माण कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि वह समय से पूर्व निर्माण कार्य को पूरा कर देंगे। इस एक्सप्रेसवे को आगे चलकर गंगा एक्सप्रेसवे से लिंक कर दिया जाएगा। फिर यूपी के 12 जिले तक लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा। बता दें कि बारिश होने और जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाने की वजह से इस हिस्से के काम की स्पीड पिछले दिनों काफी धीमी थी। इस पर एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार ने कार्यदायी एजेंसी को काफी फटकार लगाते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाने की हिदायत दे डाली थी।
जमीन पर कब्जा लिया जाना शुरू
एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित जमीन पर कब्जा लिए जाने का काम तेजी के साथ किया जा रहा है। पिछले दिनों ही चुडियाला के जंगल में जमीन पर कब्जा लिया गया है। जल्द ही निर्माण कंपनी को चांदसारा, खानपुर, नगला पातु और हापुड रोड पर कब्जा दिया जाएगा। अभी जमीन के कब्जे को लेकर किसान विरोध में है। उनका आरोप है कि एलाइनमेंट से हटकर कार्य किया जा रहा है। जिस कारण किसान जमीन पर कब्जा नही दे रहे।
14 किमी का तैयार किया जा रहा है एक्सप्रेसवे
हापुड़ रोड स्थित जाहिदपुर से गाजियाबाद के जैनुद्दीनपुर तक 14 किमी में एक्सप्रेसवे का कार्य किया जा रहा है। 14 किमी के पांचवें चरण में 12 गांवों से एक्सप्रेसवे निकाला जाना है। इसमें नंगला पातू, खानपुर, चंदसारा, सलेमपुर, ढिकोली, नरहाड़ा, शाकरपुर, हाजीपुर, घोसीपुर, तलहैटा, चुड़ियाला, जैनुद्दीनपुर शामिल है। इस चरण के बन जाने के बाद हापुड़ रोड से सीधे यातायात दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर जुड़ जाएगा। इससे शास्त्रीनगर, मवाना रोड, गढ़ रोड आदि क्षेत्रों को एक्सप्रेसवे से दिल्ली जाने का लाभ मिल जाएगा। एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे का हापुड़ रोड से जुड़ने का फायदा काफी लोगों को मिलेगा। दिल्ली, गाजियाबाद से इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से जाने वाले लाखों लोगों का काफी टाइम बचेगा और जाम से राहत मिल जाएगी। गंगा एक्सप्रेसवे के माध्यम से वह आसानी से यूपी के 12 जिलों तक पहुंच सकेंगे।
चार लेन का मार्ग, 309.77 करोड़ रुपये का टेंडर
चार लेन के मार्ग को बनाने के लिए तीन अप्रैल 2022 को एपीएस हाइड्रो कंपनी को टेंडर फाइनल कर दिया गया था। इस पर सिविल खर्च 309.77 करोड़ रुपये अनुमानित है। 500 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण पर खर्च हो चुके हैं। इस चरण में 50 स्ट्रक्चर, दो इंटरचेंज, एक छोटा ब्रिज, एक रेलवे ओवरब्रिज (मेरठ-हापुड़ रेलमार्ग) पर आदि बनाए जाने हैं।
यहां के लोगों को मिलेगी सबसे ज्यादा सहूलियत
डीएमई के मेरठ-बुलंदशहर हाइवे से जुड़ने के बाद पर्यटकों के लिए हस्तिनापुर पहुंचना भी आसान हो जाएगा। अभी तक गाजियाबाद से हस्तिनापुर पहुंचने में ढाई से 3 घंटे का समय लगता है। डीएमई के साथ लिंक होने से टाइम में एक घंटे से अधिक की बचत होगी। हस्तिनापुर में हिंदू और जैन, दोनों धर्मों के लिए पवित्र स्थल हैं। यहां कई पवित्र मंदिर जैसे- पंडेश्वर मंदिर, करण मंदिर और कमल मंदिर। जैन समुदायों के लिए इस शहर में दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, जैन जम्बूद्वीप मंदिर और श्री श्वेताम्बर जैन मंदिर हैं। मंदिरों के अलावा, यहां अन्य रोचक जगह भी हैं, जिनमें कैलाश पर्वत, अष्टपद और हस्तिनापुर वन्यजीव शामिल हैं। गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा के लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है।
चार लेन का होगा मार्ग
चार लेन के मार्ग को बनाने के लिए 3 अप्रैल 2022 को एपीएस हाइड्रो कंपनी को टेंडर फाइनल कर दिया गया था। इस पर सिविल खर्च 309.77 करोड़ रुपये अनुमानित है। 500 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण पर खर्च हो चुके हैं। इस चरण में 50 स्ट्रक्चर, 2 इंटरचेंज, एक छोटा ब्रिज, एक रेलवे ओवरब्रिज (मेरठ-हापुड़ रेलमार्ग) आदि बनाए जाने हैं।
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