नोएडा/ गाजियाबादः दिवाली के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हवा बिगड़ गई है। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हालत यह है कि हवा की गुणवत्ता के मामले में दुनिया के 10 सबसे बदतर शहरों में नोएडा समेत यूपी के कई शहर शामिल हैं। नोएडा तीसरे नंबर पर है जबकि गाजियाबाद चौथे स्थान पर है। इसके अलावा मेरठ और हापुड भी शीर्ष 10 शहरों की लिस्ट में शामिल हैं। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के अलावा सोनीपत और गुड़गांव जैसे शहरों में भी हवा की गुणवत्ता खतरनाक है। आलम यह है कि सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की टॉप-10 लिस्ट में सिर्फ दो विदेशी शहर हैं। बाकी सभी भारत के हैं।
नोएडा और गाजियाबाद की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां हवा की गुणवत्ता ‘सीवियर’ (Severe) यानी गंभीर चिंताजनक हालात में है। एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो नोएडा में AQI 328 है, जबकि गाजियाबाद में यह 323 है। मेरठ में 312, हापुड़ में 308 है। इसके अलावा बुलंदशहर में 279, बुलंदशहर में 279, बहराइच में 250, मुरादाबाद में 246, लखनऊ में 242, फतेहपुर में 240, बरेली में 232, कानपुर में 213, इलाहाबाद में 202, गोरखपुर में 194, जौनपुर में 187, वाराणसी में 176 है।
बता दें कि एयर क्वालिट इंडेक्स 0-50 के बीच हो, तो यह अच्छा माना जाता है। 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच खराब, 201 से 301 के बीच अनहेल्दी, 301 से 400 के बीच सीवियर यानी कि गंभीर चिंताजनक और 401 से 500 के बीच सबसे ज्यादा घातक माना जाता है।
पीएम 2.5 का स्तर चिंताजनक
पीएम 2.5 की बात करें तो इस पैमाने पर भी नोएडा और गाजियाबाद में हवा की हालत खराब ही है। नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर जहां 156 है, वहीं गाजियाबाद में यह 150 है। मेरठ में 135, हापुड़ में 131, बुलंदशहर में 123, बहराइच में 105, मुरादाबाद में 104, लखनऊ में 103, फतेहपुर में 102, रामपुर में 100, संभल में 100, बरेली में 99, सीतापुर में 95, कानपुर में 92, इलाहाबाद में 90, गोरखपुर में 88, जौनपुर में 86, वाराणसी में 83, सहारनपुर में 80 और बदायूं में 77 है।
पीएम 2.5 का स्तर 0 से लेकर 100 तक रहे तो मामला ठीक रहता है। वहीं 101 से लेकर 200 तक रहने पर हवा खराब मानी जाती है। 201 से 300 के लेवल पर पीएम 2.5 के रहने पर हवा की गुणवत्ता आपकी सेहत खराब कर सकती है। इससे ज्यादा होने पर हालात चिंताजनक हो जाते हैं।
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