आज सूर्यग्रहण लगने के कारण वाराणसी में अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन कल यानि 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा। 27 सालों के बाद ऐसा होने जा रहा है। अन्नकूट पर पहली बार काशी विश्वनाथ धाम में भव्य आयोजन की तैयारी है। ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि 26 को दोपहर 3.35 बजे के बाद द्वितीया तिथि लगेगी। इसलिए गोवर्धन पूजा, अन्नकूट व भाई दूज 26 को मनाए जाएंगे।
इससे पूर्व दीपावली पर 24 अक्तूबर 1995 को सूर्यग्रहण था। इसका असर कुछ हिस्सों में पड़ा था और गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट बाधित हुआ था। दोनों पर्व दीपावली के एक दिन बाद मनाए गए थे। आचार्य शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान के निमित्त भोग और नैवेद्य बनाया जाता है, जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं।
अन्नकूट पर्व का महत्व
अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। जटाजूट महादेव के काशी विश्वनाथ धाम में विराजमान माता अन्नपूर्णा का प्रसाद अबकी बार अन्नकूट पर भक्तों को मिलेगा। 100 साल पहले चोरी हुई मूर्ति के भारत वापस आने और धाम में विराजमान होने के बाद यहां अन्नकूट पर मंदिर प्रशासन खजाना वितरण की परंपरा शुरू हुई।
अब अन्नकूट पर भव्य आयोजन की तैयारी है। माता का खजाना भी धाम में आने वाले भक्तों को मिलेगा। अब तक काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में खजाना वितरण की परंपरा है। मगर, अब धाम में भी स्थापित माता अन्नपूर्णा मंदिर पर इस तरह के आयोजन किए जाएंगे। कनाडा से लाई गई अन्नपूर्णा माता की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद यह पहला मौका होगा, जब इस तरह का आयोजन किया जाएगा।
06.36 से 08.02 बजे तुला लग्न है। इसमें तुला लग्न का स्वामी शुक्र है और तुला लग्न में सूर्य हैं, इसलिए प्रात: काल का है सर्वोत्तम मुहूर्त है। इसकी अवधि 1 घंटे 28 मिनट की है।
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त: 3.43 बजे से 5.11 बजे तक इसकी अवधि 1.28 मिनट तक हैं। यह मीन लग्न में मनाया जाएगा क्योंकि मीन का स्वामी गुरु है और गुरु स्वराशि मीन राशि पर ही स्थित है।
आज सूर्यग्रहण लगने के कारण वाराणसी में अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन कल यानि 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा। 27 सालों के बाद ऐसा होने जा रहा है। अन्नकूट पर पहली बार काशी विश्वनाथ धाम में भव्य आयोजन की तैयारी है। ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि 26 को दोपहर 3.35 बजे के बाद द्वितीया तिथि लगेगी। इसलिए गोवर्धन पूजा, अन्नकूट व भाई दूज 26 को मनाए जाएंगे।
इससे पूर्व दीपावली पर 24 अक्तूबर 1995 को सूर्यग्रहण था। इसका असर कुछ हिस्सों में पड़ा था और गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट बाधित हुआ था। दोनों पर्व दीपावली के एक दिन बाद मनाए गए थे। आचार्य शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान के निमित्त भोग और नैवेद्य बनाया जाता है, जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं।
अन्नकूट पर्व का महत्व
अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। जटाजूट महादेव के काशी विश्वनाथ धाम में विराजमान माता अन्नपूर्णा का प्रसाद अबकी बार अन्नकूट पर भक्तों को मिलेगा। 100 साल पहले चोरी हुई मूर्ति के भारत वापस आने और धाम में विराजमान होने के बाद यहां अन्नकूट पर मंदिर प्रशासन खजाना वितरण की परंपरा शुरू हुई।
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