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मऊ। जिले के नामित नोडल अधिकारी मंडलायुक्त मनीष चौहान ने कलेक्ट्रेट सभागार में आपदा से निपटने के लिए जनपद में चलाए जा रहे बचाव एवं राहत कार्यों की समीक्षा की।
जिलाधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि वर्तमान में सरयू नदी का जलस्तर 69.85 मीटर है, जो खतरे के निशान से 0.05 मीटर नीचे है। बाढ़ के कारण घोसी एवं मधुबन तहसील के कुल 51 गांवों में 4039 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इस दौरान 7658 परिवारों के 38280 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
कुल 126 परिवारों के 613 लोगों को जनपद में स्थापित अस्थायी 12 आश्रय स्थलों में निवासित कराया गया। बाढ़ के दौरान कुल तीन स्थानों पर कम्यूनिटी किचन चलाए जा रहे हैं, जहां पर लोगों को भोजन और पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही 3344 परिवारों को अब तक बाढ़ राहत सामग्री का वितरण कराया गया है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य के लिए कुल 120 नावें तथा दो स्टीमर लगाई गई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे की व्यवस्था की गई है। बाढ़ से बचाव के लिए एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, यह 24 घंटे क्रियाशील है। किसी भी तरह की जन एवं पशु हानि का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है।
बाढ़ से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए गांव स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बाढ़ से हुए फसलों के नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। बंधों में रिसाव की चर्चा के दौरान उन्होंने अधिशासी अभियंता सिंचाई को इसका स्थायी उपाय करने के निर्देश दिए।
बैठक के दौरान ही मंडल आयुक्त ने तमसा नदी के सुंदरीकरण, बाल निकेतन चौराहे पर पुल निर्माण, टेक्सटाइल पार्क को लेकर दिशा निर्देश दिया। बैठक के दौरान पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडेय, अपर जिला अधिकारी भानु प्रताप सिंह, मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत नागर,समस्त उपजिलाधिकारी, समस्त तहसीलदार, बाढ़ स्टीयरिंग कमेटी के समस्त सदस्य एवं अन्य सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मऊ। जिले के नामित नोडल अधिकारी मंडलायुक्त मनीष चौहान ने कलेक्ट्रेट सभागार में आपदा से निपटने के लिए जनपद में चलाए जा रहे बचाव एवं राहत कार्यों की समीक्षा की।
जिलाधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि वर्तमान में सरयू नदी का जलस्तर 69.85 मीटर है, जो खतरे के निशान से 0.05 मीटर नीचे है। बाढ़ के कारण घोसी एवं मधुबन तहसील के कुल 51 गांवों में 4039 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इस दौरान 7658 परिवारों के 38280 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
कुल 126 परिवारों के 613 लोगों को जनपद में स्थापित अस्थायी 12 आश्रय स्थलों में निवासित कराया गया। बाढ़ के दौरान कुल तीन स्थानों पर कम्यूनिटी किचन चलाए जा रहे हैं, जहां पर लोगों को भोजन और पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही 3344 परिवारों को अब तक बाढ़ राहत सामग्री का वितरण कराया गया है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य के लिए कुल 120 नावें तथा दो स्टीमर लगाई गई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे की व्यवस्था की गई है। बाढ़ से बचाव के लिए एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, यह 24 घंटे क्रियाशील है। किसी भी तरह की जन एवं पशु हानि का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है।
बाढ़ से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए गांव स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बाढ़ से हुए फसलों के नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। बंधों में रिसाव की चर्चा के दौरान उन्होंने अधिशासी अभियंता सिंचाई को इसका स्थायी उपाय करने के निर्देश दिए।
बैठक के दौरान ही मंडल आयुक्त ने तमसा नदी के सुंदरीकरण, बाल निकेतन चौराहे पर पुल निर्माण, टेक्सटाइल पार्क को लेकर दिशा निर्देश दिया। बैठक के दौरान पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडेय, अपर जिला अधिकारी भानु प्रताप सिंह, मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत नागर,समस्त उपजिलाधिकारी, समस्त तहसीलदार, बाढ़ स्टीयरिंग कमेटी के समस्त सदस्य एवं अन्य सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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