मथुरा के राधाकुंड में अहोई अष्टमी के अवसर पर आधी रात से निसंतान दंपती राधारानी कुंड में आस्था की डुबकी लगाएंगे। स्नान कर श्रद्धालु श्रीराधा रानी से संतान प्राप्ति की कामना करेंगे। सोमवार शाम से ही श्रद्धालुओं की भीड़ राधाकुंड में उमड़ने लगी।
मान्यता है कि बछड़ा बने राक्षस को मारने के कारण श्रीकृष्ण को गोहत्या का पाप लग गया था। उन्होंने इस पाप से मुक्ति के लिए अपनी बंशी से राधारानी कुंड का निर्माण किया। अहोई अष्टमी की रात 12 बजे श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों को राधाकुंड में एकत्रित किया था। सभी तीर्थों के जल से स्नान करने के बाद श्री कृष्ण गोहत्या के पाप से मुक्त हुए थे।
द्वापर काल से चला आ रहा अहोई अष्टमी पर्व पर स्नान इस वर्ष 17 अक्तूबर रात 12 बजे से 18 अक्तूबर दोपहर 12 बजे तक होगा। इसमें लाखों की संख्या में निसंतान दंपती संतान की चाह लेकर राधाकुंड में स्नान करने के बाद पैंठा फल राधा रानी के जल में छोड़ने की परंपरा है।
साल दर साल बढ़ रहे श्रद्धालु
संतान की चाह लेकर आने वाले निसंतान दंपती दुनिया भर की चिकित्सा से जब निराश हो जाते हैं, तब जल रूप में विराजमान राधा रानी के दरबार में आकर अपनी मन्नत मांगते हैं। दरबार सजाए बैठी राधा रानी अपना आशीर्वाद भक्तों को देती हैं। हर वर्ष आने वाले निसंतान दंपतियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।
राधारानी कुंड के सजे घाट
राधारानी कुंड के घाटों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। घाटों पर राधा नाम के गूंजते गीत राधाकुंड के वातावरण अलौकिक बना रहे हैं।
एक-दूसरे में समाए हैं राधा और कृष्ण कुंड
राधा और कृष्ण कुंड अलग-अलग बने हुए हैं और 10 एकड़ भूमि में फैले हुए हैं। एक का जल श्वेत तो दूसरे का श्याम रंग है। दोनों कुंडों का जल एक दूसरे से मिला हुआ है, फिर भी दोनों का जल अलग-अलग रंग का है।
मथुरा के राधाकुंड में अहोई अष्टमी के अवसर पर आधी रात से निसंतान दंपती राधारानी कुंड में आस्था की डुबकी लगाएंगे। स्नान कर श्रद्धालु श्रीराधा रानी से संतान प्राप्ति की कामना करेंगे। सोमवार शाम से ही श्रद्धालुओं की भीड़ राधाकुंड में उमड़ने लगी।
मान्यता है कि बछड़ा बने राक्षस को मारने के कारण श्रीकृष्ण को गोहत्या का पाप लग गया था। उन्होंने इस पाप से मुक्ति के लिए अपनी बंशी से राधारानी कुंड का निर्माण किया। अहोई अष्टमी की रात 12 बजे श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों को राधाकुंड में एकत्रित किया था। सभी तीर्थों के जल से स्नान करने के बाद श्री कृष्ण गोहत्या के पाप से मुक्त हुए थे।
द्वापर काल से चला आ रहा अहोई अष्टमी पर्व पर स्नान इस वर्ष 17 अक्तूबर रात 12 बजे से 18 अक्तूबर दोपहर 12 बजे तक होगा। इसमें लाखों की संख्या में निसंतान दंपती संतान की चाह लेकर राधाकुंड में स्नान करने के बाद पैंठा फल राधा रानी के जल में छोड़ने की परंपरा है।
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