आगरा: राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) को आदर्श मानने वाले कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन पर हर कोई उनकी जीवन से जुड़े पन्नों को पलट रहा है। उनके साथ बिताए समय और राजनीतिक जीवन के संघर्ष को याद कर रहा है। उनके साथ करीब 53 साल तक राजनीतिक सफर तय कर चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव किताबें पढ़कर समाजवादी नहीं बने। वे जिदंगी के अभाव, किसानों की समस्याएं और देश की लाचारी को उन्होंने जीया, तब जाकर वे समाजवादी बने। चार बार के सांसद रहे रामजीलाल सुमन कहते हैं कि आगरा से उनका गहरा लगाव रहा है, लेकिन उन्हें आगरा से विधायक नहीं मिलने की टीस हमेशा रही।
मुलायम सिंह यादव के योगदान के बारे में रामजीलाल सुमन आगे कहते हैं कि आपातकाल में जब जनता पार्टी बनी तो हिंदुस्तान में समाजवादी आंदोलन समाप्त हो गया। इसके बाद समाजवादी जो बिखरे हुए थे। उन्हें 1992 में अपने साथ एकत्र करने के लिए समाजवादी पार्टी का गठन हुआ। ये नेताजी का सबसे बड़ा योगदान रहा। उन्होंने बताया कि आगरा में वे कई बार आए। आगरा से उनका विशेष लगाव था। वर्ष 2017 में मुलायम सिंह यादव आगरा के जीआईसी ग्राउंड आए थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए 1990 कारसेवकों पर हमले के आरोप पर उन्होंने कहा कि नेताजी का कहना था कि जब मंत्री बनते हैं तो हमारे सामने संविधान होता है और हम ये कसम खाते हैं कि किसी के धर्म को कष्ट पहुंचाने की हमें इजाजत नहीं है। आगरा से मुलायम सिंह का भावनात्मक लगाव रहा था। उनका पैतृक निवास भी आगरा में इटौली शिकोहाबाद (1967 से पहले आगरा जनपद में था) था।
सांसद जीत जाते थे, मगर विधायक हार जाते थेपूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन कहते हैं कि वे 1977, 89, 99 और 2004 से 2009 तक सांसद रहे। राजबब्बर, प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल और वे चुनाव जीत जाते थे, लेकिन विधानसभा का चुनाव अक्सर समाजवादी कैंडिडेट हार जाया करते थे। वे इस बात को कहते रहते थे। उन्होंने बताया कि 1957, 1962 और 1967 में सोशलिस्ट पार्टी से आगरा से दो सीटें जीती थीं। तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी आगरा में विधानसभा का चुनाव हार जाती थी। आगरा में सिर्फ एक ही बार समाजवादी पार्टी से पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे महेंद्र अरिदमन सिंह ने बाह विधानसभा से वर्ष 2012 में चुनाव जीता था। इससे पूर्व और इसके बाद समाजवादी पार्टी को आगरा में हार का ही सामना करना पड़ा है।नेताजी के साथ रोज करते थे मंत्रणाकेंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन कहते हैं कि जब आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे प्रोजक्ट के शुभारंभ के लिए अखिलेश यादव ने उन्हें बुलाया तो मुलायम सिंह यादव ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले इसे तय समय पर पूरा कर लीजिए, इसके बाद ही इसका उद्घाटन करेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 1999 से 2000 तक वे संसद में नेताजी मुलायम सिंह यादव के साथ रहे। प्रश्नकाल के बाद 12 बजे से एक बजे के बीच शून्य काल में कौन सा सवाल जनहित में उठाना है, इस मुद्दे पर नेताजी उनके साथ मंत्रणा करते थे।
इनपुट- सुनील साकेत
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