लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा, विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों के बीच की रेस तेज होती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) चेहरा फिक्स है, लेकिन विपक्ष में इसको लेकर घमासान मचा है। सामाजवादी पार्टी (SP) की तरफ से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नाम की चर्चा है तो वहीं बसपा की तरफ से यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) का नाम शामिल हो गया है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका होती है। ऐसे में एनबीटी ऑनलाइन ने इन दोनों ही दावेदारों को लेकर बातचीत की। जिसमें आम लोगों ने अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं।
नहीं हैं पीएम बनने के योग्य -पिंटू
लखनऊ के पिंटू पंडित ने कहा कि अखिलेश यादव न प्रधानमंत्री बनने के योग्य हैं और न ही कभी ये बन पाएंगे, क्योंकि इनसे जनता का कोई लाभ नहीं है। यह जब सत्ता में होते हैं तो यादव और मुसलमान दिखता है। वहीं, मायावती दावेदारी को लेकर पिंटू ने कहा कि ये 4 चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं, तब इन्होंने क्या किया? जनता का सारा रुपया सब समेट कर चली गईं। बाकी जो भी कुछ बचा, वह सतीश चन्द्र मिश्रा ने खत्म कर दिया। इनकी सरकार में सिर्फ इन दोनों लोगों का ही भला हुआ, लेकिन जनता वही रह गई, इसलिए अखिलेश और मायावती को प्रधानमंत्री बनने का सपना छोड़ देना चाहिए।
अखिलेश-मायावती नहीं हैं पीएम बनने के लायक – श्याम किशोर
श्याम किशोर त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश यादव को जितना नारी जाति का सम्मान करना चाहिए था, उन्होंने किया नहीं। सिर्फ हिंदू और मुसलमान में ही सिमट कर रह जाते हैं। प्रधानमंत्री देश का सर्वोच्च पद होता है, इसलिए यह उसके लायक नहीं हैं। इनको सबसे पहले तो अपने परिवार को एक करना चाहिए। उसके बाद कुछ और सोचें जो व्यक्ति अपने परिवार को साथ लेकर नहीं चल पा रहा है, वह देश को कैसे चला पाएगा। रही बात मायावती की तो इनकी पिछली सरकारों में दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को ठगा गया है, इसलिए अखिलेश और मायावती के प्रधानमंत्री बनने से भारत देश टूट जायेगा।
मायावती और अखिलेश पहले आंतरिक चरित्र को सुधारे-भीम चंद्र
भीम चंद्र राजभर ने अखिलेश और मायावती की दावेदारी को लेकर कहा कि सबसे पहले इन लोगों को परिवारवाद छोड़ना चाहिए। यहां तो ये चल रहा है कि राजा का बेटा राजा होगा, ये राजशाही छोड़कर इनको पार्टी में सुधार करना चाहिए, उसके बाद आगे कुछ सोचना सोचें, जो पार्टी जातिवाद और परिवारवाद की बात करती हैं, उनको प्रधानमंत्री पद पर बैठने की तो बात छोड़ दीजिए, इनको नाम लेने का भी अधिकारी नहीं है। बहुजन समाज पार्टी की हालत देख लीजिए जातिवाद करते-करते कहां पहुंच गई। इनको पहले अपने आंतरिक चरित्र को सुधारना चाहिए, फिर कुछ आगे सोचें।
अभी यूपी में मेहनत करने की जरूरत-अवनीश
अवनीश पाठक ने कहा कि मायावती की जो हालत है, वो किसी से छिपी नहीं है। विधानसभा में सिर्फ एक सीट पर ही सिमट कर रह गई है तो इनको तो प्रधानमंत्री का सपना देखना ही नहीं चाहिए। जनता ने इन्हें पहले ही नकार दिया है। वहीं, अखिलेश यादव की बात करें तो उन्हें अभी उत्तर प्रदेश में ही मेहनत करने की जरूरत है। कहीं बड़े ख्वाब और लोगों के बहकावे में जो सीटें हैं, वो भी न खो दें। नीतीश कुमार बिहार से ममता बनर्जी बंगाल से दावेदारी कर रही हैं। वहीं, अखिलेश यादव यूपी से लगे हुए हैं, इनको पहले अपने प्रदेश को देखना चाहिए, उसके बाद ही आगे की कुछ सोचें। यह लोग सिर्फ अपनी जाति को देखते हैं, जबकि इस देश और प्रदेश में तो सभी जाति धर्म के लोग हैं। ऐसी विचाधारा वाले लोग प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं।
तीसरे मोर्चे में गैर कांग्रेसी दलों को जोड़ने की तैयारी
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर देश में तीसरे मोर्चे को मजबूत बनाने की कवायद चल रही है। तीसरे मोर्चे में सभी गैर कांग्रेसी दलों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी भी इसी गठबंधन का हिस्सा बनी हुई है। तीसरे मोर्चे को राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, टीआरएस अध्यक्ष एवं तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार नए आकार देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसमें से ममता बनर्जी और के. चंद्रशेखर राव कांग्रेस से पूरी तरह अलग सोच रखते हैं। वहीं, शरद पवार कांग्रेस के साथ पिछले दिनों तक महाराष्ट्र की सत्ता में थे।
रिपोर्ट- संदीप तिवारी
More Stories
Lucknow की ‘लेडी डॉन’ ने आईएएस की पत्नी बनकर महिलाओं से ठगी की, 1.5 करोड़ रुपये हड़पे
पार्वती, कालीसिंध और चंबल परियोजना में मप्र में 22 बांधा, एमपी के 13 सौंदर्य को मिलेगा फायदा
झारखंड में भाजपा ने 30 बागी प्रत्याशियों को पार्टी से निकाला