रामपुर: अब यूपी के खेतों में चंदन की खुशबू महकेगी। इसके लिए रामपुर के किसान ने अपनी आय बढाने के लिए चंदन की खेती शुरू कर दी है। साथ ही अब वह दूसरे किसानों को भी चंदन की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मूलरूप से रामपुर के शहजादनगर थानाक्षेत्र के ग्राम ककरौआ निवासी रमेश कुमार तीन भाई हैं। रमेश कुमार के दो भाई गांव में ही रहते हैं और खेती करते हैं। बच्चों की पढाई की वजह से वह शहर आ गए। करीब 12 साल पहले पिता का देहांत होने के बाद उनके हिस्से में 27 बीघा जमीन आई। जिस पर उनके भाई ही खेती करते थे। इसके बाद उन्होंने वैकल्पिक खेती के रूप में औषधीय खेती करने का मन बनाया। उन्होंने जानकारी एकत्र की, तो चंदन की खेती के बारे में पता लगा। जिसके बाद वह चंदन की खेती की पूरी जानकारी करने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए बैंगलोर चले गए। जहां इंडियन वुड साइंस टेक्नोलॉजी सेे पूरी जानकारी प्राप्त की। इसके बाद वहां से मई माह में बीज लेकर रामपुर आ गए।
यहां उन्होंने अपने भाईयों से आठ बीघा खेत खाली कराया और उसमें चंदन की पौध तैयार करने के बीज बो दिए। जिसके बाद अब वे बीज पौध के रूप में तैयार हो गए हैं। रमेश कुमार बताते हैं कि पहले चंदन की खेती उत्तर प्रदेश में प्रतिबंधित थी, लेकिन 2017 में सरकार ने इसे प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है।
सरकार ने रखी है ये शर्त
सरकार ने यह शर्त लगाते हुए किसानों को चंदन की खेती करने की अनुमति दे दी है कि चंदन के पेड तैयार होने के बाद उन्हें सिर्फ सरकार ही खरीदेगी और खुद ही एक्सपोर्ट करेगी। यह जानकारी मिलने के बाद उन्होंने चंदन की खेती करने का मन बनाया और अब पौध तैयार है।
कहां की जा सकती है चंदन की खेती
चंदन मूलतया दो प्रकार का होता है। जिसमें लाल चंदन और सफेद चंदन शामिल हैं। लाल चंदन की खेती दक्षिण भारत के राज्यों में होती हैं, जबकि सफेद चंदन उत्तर प्रदेश में हो सकता है। इसके लिए मिटटी का पीएच मान साढे सात पर्याप्त है। इसके पेड़ की ऊंचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है और परिपक्वता में 10 से लेकर 12वर्ष तक का समय लगता है। इसके लिए डालवों जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकली मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
चंदन की खेती कब, कैसे और क्यों करें
किसान रमेश कुमार बताते हैं कि वर्ष 2017 तक चंदन की खेती करने पर रोक थी। लेकिन, अब कोई भी किसान चंदन की खेती कर सकता है। किसान एक पेड़ से दो से तीन लाख रूपये तक कमा सकते हैं। एक एकड़ में करीब 400 से 500 पौधे लगाए जा सकते हैं। चंदन की खेती करने के लिऐ आपको कुछ बातांे का विशेष ध्यान रखना होगा। उत्तर भारत में सफेद चंदन की खेती सबसे ज्यादा होती है। क्योंकि, इसमें 7.5 पीएच वाली मिट्टी की जरूरत होती है।
चंदन के पौधे के लिए कितना पानी चाहिए
किसान रमेश कुमार के मुताबिक चंदन के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में इसे लगाते वक्त ये ध्यान रखें कि इसे ऐसे जगह पर न लगाएं, जहां पर की पानी का अधिक भराव होता हो। खासतौर से निचले इलाके में न लगाए, जहां कि पानी भरा रहता हो।
चंदन के साथ लगाएं होस्ट पौधा
चंदन का पौधा परजीवी पौधा है। चंदन पौधे के साथ होस्ट का पौधा लगाना जरूरी होता है, क्योंकि चंदन अकेले फल-फूल नहीं सकता। लिहाजा, चंदन कीे ग्रोथ के लिए होस्ट का होना जरूरी है। दरअसल, होस्ट के पौधे की जड़ें चंदन की जड़ों से मिलती हैं और तभी चंदन का विकास तेजी से होता है। किसान होस्ट के पौधों को चंदन के पौधों से चार से पांच फीट की दूरी पर लगा सकते हैं। पौधा छह माह से दो साल तक का हो।
चंदन के पौधे लगाने के बाद इसके आस-पास साफ सफाई का खास ख्याल रखना होता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि इसकी जड़ों के पास पानी का जमाव न हो। पानी के जमाव से बचने के लिए किसान इसकी मेड़ को थोड़ा ऊपर रखें, ताकी पानी का जमाव जड़ के पास न हो। चंदन के पौधों को हफ्ते में दो से तीन लीटर पानी की जरूरत होती है। चंदन के पेड़ को पानी के लगने से ही बीमारी होती है। ऐसे में अगर किसान इसे पानी से बचा लें, तो इसमें कोई बीमारी नहीं लगती है।
क्या है पौधे की कीमत
चंदन का पौधा किसानों को 200 रुपये से 400 रुपये तक में मिल जाएगा। इसकी कीमत पेड़ की संख्या पर भी निर्भर करती है। इसके अलावा इसके साथ लगने वाले होस्ट के पौधे की कीमत करीब 50 से 60 रुपये होती है।
चंदन की लकड़ी की कीमत
किसान रमेश कुमार के मुताबिक चंदन की लकड़ी को सबसे महंगी लकड़ी माना जाता है। इसका बाजार मूल्य करीब 25 हजार से 30 हजार रुपये प्रति किलो तक है। एक पेड़ से किसान को 25 से 40 किलो लकड़ी आराम से मिल जाती है। ऐसे में उसे एक पेड़ से पांच से छह लाख रुपये तक आसानी से कमाई हो जाते है।
कहां-कहां होता है इस्तेमाल
चंदन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा परफ्यूम में किया जाता है। आयुर्वेद में चंदन का इस्तेमाल किया जाता है। इसे तरल पदार्थ के रूप में भी तैयार किया जाता है।
इसके अलावा ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
चंदन का पेड़ की सुरक्षा
चंदन के पेड़ को शुरू के आठ सालों तक किसी बाहरी सुरक्षा की जरूरत नहीं होती, क्योंकि उस समय तक इसमें खुशबू नहीं होती है। जैसे ही पेड़ की लकड़ी के पकने की प्रक्रिया की शुरूआत होती है, वैसे ही इसमें खुशबू आनी शुरू हो जाती है। तब इसकी सुरक्षा की जरूरत होती है। किसान इसकेे लिए खेत की तार की घेराबंदी करा सकते हैं। साथ ही खेत के चारांे तरफ पांच फिट की दीवार बनवा सकते हैं।
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