प्रदेश की राज्यपाल और डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल रविवार को विश्वविद्यालय में निरीक्षण करने आ रही हैं। विश्वविद्यालय से डिग्री और अंकतालिका पाना आसान नहीं। 10 हजार से अधिक डिग्रियां लंबित हैं और 50 हजार अंकतालिकाएं एमडब्ल्यू (मार्क्स अवेटिंग) के चलते लटक गई हैं।
दूरदराज से छात्र रोजाना विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहे हैं। कइयों की नौकरी पर बन आई है। हेल्प डेस्क पर आने वाले प्रार्थनापत्रों में सबसे ज्यादा शिकायतें डिग्री और अंकतालिका की हैं। इनकी संख्या औसतन रोजाना 150 से अधिक हैं। हालांकि परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओमप्रकाश का कहना है कि लंबित डिग्रियां बनाने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है। एमडब्ल्यू की वजह 150 से अधिक कॉलेजों के प्रयोगात्मक परीक्षा के अंकों को सत्यापित नहीं करने से है। इनको नोटिस भी दिए हैं।
कचरे में डिग्री और अंकतालिका
परीक्षा विभाग में छात्रों की अंकतालिका और डिग्रियों को सुरक्षित नहीं रखा जा रहा। कचरे में मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि और स्नातक की डिग्री और अंकतालिकाएं कचरे में मिलीं। इनमें एमबीबीएस छात्र की उत्तीर्ण छात्रों की अंकतालिकाएं भी थीं।
चूहे और दीमक ने कुतर दिए गोपनीय चार्ट
दीमक लगी, चूहों ने कुतरे चार्ट : परीक्षा विभाग में गोपनीय चार्ट के रखरखाव में लापरवाही से इनको चूहे कुतर गए और दीमक भी लग गई। कई चार्ट नष्ट हो गए। इस स्थिति में छात्रों के मूल रिकॉर्ड से सत्यापन नहीं हो पाएगा। कक्ष में गोपनीय चार्ट को रद्दी की तरह फेंका हुआ है।
ये भी मामले
बीएएमएस कांड : परीक्षा की शुचिता में घोर लापरवाही बरती। बीएएमएस की उत्तर पुस्तिकाएं एक संविदाकर्मी के हवाले छोड़ दीं। केंद्र से एजेंसी तक लाने में बीएएमएस की उत्तर पुस्तिकाएं ही बदलने लगा। इसमें गैंग शामिल रहा, पुलिस ने गैंग के 4 गुर्गे पकड़ लिए हैं।
भ्रष्टाचार : संस्कृति भवन के निर्माण में घोटाले के आरोप लगे हैं। इसमें 4 करोड़ रुपये की इमारत का निर्माण होना दर्शाया, लेकिन मौके पर कोई निर्माण नहीं हुआ। यहां तक कि इसका भुगतान भी कर दिया गया।
राज्यपाल के ड्रीम प्रोजेक्ट का ये है हाल
– सौर उर्जा : एक ही विभाग सौर ऊर्जा से जोड़ा जा चुका है, 15 से अधिक विभाग अभी भी बाकी हैं।
– जल संरक्षण : वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सभी संकाय में नहीं लगे, ये पूरी तरह से कार्य नहीं कर रहा है।
– स्वच्छता-हरियाली : गंदगी अभी भी समस्या है। हरियाली पर जरूर कुछ कार्य हुआ है, लेकिन अधूरा है।
ये बोले छत्र नेता:
डिग्री समय से नहीं मिल रही
विवि छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष गौरव शर्मा ने कहा कि अंकतालिका-डिग्री समय से नहीं मिलने से कई छात्रों के हाथों से नौकरी निकल गई। ऑनलाइन आवेदन पर भी डिग्री घर नहीं पहुंच रही। इनमें सुधार होने से 50 फीसदी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा
छात्र नेता सौरभ चौधरी ने कहा कि डिग्री-अंकतालिका नहीं मिल रहीं, वहीं दूसरी ओर ये कचरे में मिली हैं। गोपनीय चार्ट को भी दीमक लग गई और चूहे कुतर गए। फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
प्रदेश की राज्यपाल और डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल रविवार को विश्वविद्यालय में निरीक्षण करने आ रही हैं। विश्वविद्यालय से डिग्री और अंकतालिका पाना आसान नहीं। 10 हजार से अधिक डिग्रियां लंबित हैं और 50 हजार अंकतालिकाएं एमडब्ल्यू (मार्क्स अवेटिंग) के चलते लटक गई हैं।
दूरदराज से छात्र रोजाना विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहे हैं। कइयों की नौकरी पर बन आई है। हेल्प डेस्क पर आने वाले प्रार्थनापत्रों में सबसे ज्यादा शिकायतें डिग्री और अंकतालिका की हैं। इनकी संख्या औसतन रोजाना 150 से अधिक हैं। हालांकि परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओमप्रकाश का कहना है कि लंबित डिग्रियां बनाने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है। एमडब्ल्यू की वजह 150 से अधिक कॉलेजों के प्रयोगात्मक परीक्षा के अंकों को सत्यापित नहीं करने से है। इनको नोटिस भी दिए हैं।
कचरे में डिग्री और अंकतालिका
परीक्षा विभाग में छात्रों की अंकतालिका और डिग्रियों को सुरक्षित नहीं रखा जा रहा। कचरे में मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि और स्नातक की डिग्री और अंकतालिकाएं कचरे में मिलीं। इनमें एमबीबीएस छात्र की उत्तीर्ण छात्रों की अंकतालिकाएं भी थीं।
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