नोएडा: सोमवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रही है। ऐसे में एक मां की कहानी ये बताती है कि अगर वो ठान ले तो कुछ भी संभव नहीं है। रोज-रोज की दुत्कार और पति के साथ छोड़ने के बाद एक मां ने अपने बेटे के लिए खुद कमाने की ठान ली और निकल पड़ी सड़कों पर। बेटे की जिम्मेदारी के साथ एक मां सड़कों पर ई-रिक्शा चला रही है। बेटे को पेट में बांधकर सवारियां ढो रही है। एक मां की तस्वीर ये बताती है कि महिला अबला नहीं सबला है। ये मामला नोएडा का है।
तस्वीरों में आप देख सकते है कैसे ये महिला अपनी गोद में अपने छोटे से बच्चे को लिए हुए है और सवारियों का इंतजार कर रही है। दअरसल ये चंचल शर्मा हैं, जो नोएडा के सेक्टर-62 लेवर चौक से हाईवे, साईं मंदिर, पहला पुस्ता और काला पत्थर तक सवारियों को अपने ई-रिक्शा से सवारियां को ले जाती और लाती हैं, जिसमें ई-रिक्शा का किराया 300 रुपये प्रतिदिन देती हैं और 300-400 रुपये हर रोज कमाकर अपना जीवन यापन कर रही हैं।
चंचल शर्मा बताती हैं कि उनकी शादी तीन साल पहले वर्ष 2019 में छायंसा गांव, जोकि दादरी में पड़ता है। उस गांव के निवासी एक व्यक्ति से हुई थी। जिसका नाम न बताने के शर्त पर कहा कि उस आदमी ने मुझे इतना प्रताड़ित कर रखा है। मैं उसका नाम अपनी जुबान पर नहीं लाना चाहती। शादी के बाद ही उसने हमें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और हर तरह से हर रोज प्रताड़ित करता था। दो-तीन महीने बाद ही हमारा कोर्ट केस शुरू हो गया, जो अबतक चल रहा है। चंचल शर्मा बताती हैं कि वो गाजियाबाद के लालकुआं की मूल निवासी हैं। उनके पिता की जब वो छोटी थी, तब ही मौत हो गई। चार बहनें और मां है। सभी बहनों की शादी हो गई। चंचल की मां एक रेहड़ी पर आलू प्याज बेचकर अपना खर्चा चलाती है।
चंचल शर्मा ने अपना दुख जाहिर करते हुए कहा कि भगवान ऐसा पति किसी को न दे, जैसा मुझे दिया। वही उनसे जब पूछा कि उन्होंने नोएडा की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाना शुरू किया तो क्या-क्या परेशानियों का सामना करना पड़ा तो उन्होंने बताया कि शुरुआत में यहां ई-रिक्शा चलाने वाले लोगों ने मुझे परेशान किया, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मैं यहां इस रूट पर ई-रिक्शा चलाऊं, लेकिन यहां के एनआईबी चौकी स्टाफ समेत ट्रैफिक पुलिस ने मेरा समर्थन किया और अब कोई भी परेशानी नहीं होती है। फिलहाल मैं लेवर चौक से साईं मंदिर, काला पत्थर और पहला पुस्ता मेरा रूट है और मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। मैं ई-रिक्शा इसलिए चला रही हूं, ताकि मेरा बच्चा छोटा सा है मैं कही और काम करती हूं तो बच्चे को दूर करना पड़ता, लेकिन ई-रिक्शा चलाते समय मेरा बच्चा मेरे साथ रहता है और आसानी हो जाती है। मेरी मां खोड़ा कॉलोनी में रहती है। कभी मैं मां के पास रुक जाती तो कभी बहन के पास इस तरह मेरा फिलहाल जीवन यापन चल रहा है।
इनपुट- मनीष सिंह
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