उन्नाव: आज राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastava) हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार की सुबह दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया। परिवार, रिश्तेदार सहित उनके लाखों चाहने वाले उदास हैं। राजू श्रीवास्तव उर्फ गजोधर भइया को आपने कामेडी और मिमिक्री करते हुए जरूर देखा या सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते है उन्होंने अपना पहला स्टेज शो और किस गीत से अपने कैरियर की शुरूआत की थी और जिस भाषा और बोली में वह कॉमेडी करते थे, जिसने राजू श्रीवास्तव को गजोधर भईया बनाया। जानते है उनके करीबियों की जुबानी राजू की कहानी..
पिता के नक्शे कदम पर चलकर बने बड़े कलाकार
उन्नाव जिले के बीघापुर के मगरायर गांव निवासी रमेश श्रीवास्तव के यहां राजू ने 1963 में जन्म लिया था। राजू कुल 6 भाई थे। राजू के पिता रमेश श्रीवास्तव जिन्हे बलई काका के रूप से पहचान मिली थी, क्योंकि उनके पिता कवि थे इसलिए राजू भी बचपन से ही कविता गायन के साथ बड़े बड़े स्टार की नकल उतारा करते थे।
खाइके पान बनारस वाला गाने की हुई तारीफ
मगरायर गांव के निवासी हीरालाल सोनी बताते है कि, “राजू ने अपना पहला स्टेज शो शिवरात्रि में यही गांव पर किया था और उन्होंने अपने अंदाज में अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन का फेमस गीत “खाइके पान बनारस वाला” गाया था जिसकी उस समय काफी तारीफ हुई थी।”
मातृभाषा से था जुड़ाव
राजू के परिवार से जुड़े विक्रम श्रीवास्तव ने बताया कि, राजू अपनी जड़ और जमीन को कभी नहीं भूले और गायन और मिमिक्री में वह कानपुर और उन्नाव की लोकल गंवई भाषा का ही प्रयोग करते थे, जिसको लोगों ने बहुत पसंद किया।
पढ़ाई पूरी करके चले गए थे मुंबई
गांव के एक और निवासी नवल किशोर बाजपेई ने बताया कि ,राजू श्रीवास्तव का ननिहाल भी यही पास के गांव बेहटा ससान में था। वह कानपुर में अपनी पढ़ाई पूरी करके वह मुंबई चले गए थे और जब भी मुंबई से लौटकर आते थे कहा करते थे कि ‘हम आज मुंबई में इस स्टार से मिले यहां कार्यक्रम किया वहां स्टेज शो किया लेकिन हम लोगों को विश्वास नहीं होता था तो लोग उनसे मिमिक्री करने के लिए कहा करते थे करके दिखाओ तो जाने तब राजू आठ दस एक्टर और नेताओं की मिमक्री करके दिखाया करते थे।’ नवल ने कहा कि यह बात राजू के स्ट्रगल दौर की बात है।
पैतृक गांव और ननिहाल में देखने को मिली उदासी
राजू की मौत की खबर सुनकर उनके परिवार और बचपन के यार दोस्त सहित सभी लोग काफी उदास है और शोक की लहर व्याप्त है। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है एक नेक इंसान और कलाकार अब हमारे बीच नहीं है।
इनपुट-मनीष कुमार सिंह
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