लखनऊ: उत्तर प्रदेश से लोक सभा के 80 सांसद चुनकर आते हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा एक साथ कई मोर्चों पर तेजी से काम करने में जुट गई है। पार्टी का फोकस 2019 में हारी हुई 16 लोकसभा सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी है, जहां से भाजपा सांसद लगातार जीत रहे हैं। खासतौर से उन सीटों पर जहां से एक ही नेता ने लोकसभा का पिछला दोनों चुनाव जीता हो।
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर सांसदों की लोकप्रियता और जनता से उनका जुड़ाव भी जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भाजपा इससे पहले भी कई बार विभिन्न राज्यों में नेताओं के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की धार को कुंद करने के लिए बड़े पैमाने पर अपने चुने हुए नेताओं का टिकट काट चुकी है और भाजपा को इसका लाभ भी हासिल हुआ है। इसलिए भाजपा के टिकट पर एक ही सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले सांसद, खासतौर से ऐसे सांसद जो 2014 और 2019 का चुनाव एक ही क्षेत्र से जीते हैं, उन्हें 2024 में भी अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए अपनी लोकप्रियता साबित करनी होगी।
पार्टी के आला नेता लगातार उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर सांसदों के कामकाज को लेकर फीडबैक ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं बृजेश पाठक, नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और यूपी भाजपा संगठन महासचिव धर्मपाल लगातार प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा कर लोक सभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं और साथ ही सांसदों के कामकाज और लोकप्रियता को लेकर फीडबैक भी ले रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो चुनाव आते-आते भाजपा कई स्तरों पर उम्मीदवार के चयन को लेकर सर्वे भी कराएगी और इन तमाम सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय किया जाएगा कि किस सीट से किस नेता को चुनावी मैदान में उतारा जाए, किस सांसद का सीट बदला जाए और किस सांसद का टिकट काट दिया जाए। अब बात उन 16 लोक सभा सीटों की जिन पर 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा को 62 और उसके सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
उस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ अमेठी को तो जीत लिया था लेकिन रायबरेली से सोनिया गांधी को हरा नहीं पाई थी। समाजवादी पार्टी भी 2019 में मैनपुरी, आजमगढ़ और रामपुर जैसे अपने गढ़ को बचा पाने में कामयाब हो गई थी (हालांकि हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ और रामपुर दोनों को जीत लिया है), तो वहीं मायावती की बसपा ने भी क्षेत्रीय समीकरणों और सपा से गठबंधन का लाभ उठाते हुए 10 सीट अपनी झोली में डाल ली थी। लेकिन 2024 के लोक सभा चुनाव में भाजपा सोनिया गांधी और मुलायम सिंह यादव समेत सभी विपक्षी नेताओं के मजबूत गढ़ को ढहाकर प्रदेश की सभी 80 लोक सभा सीटें जीतना चाहती है। इसलिए इन 16 सीटों को लेकर भाजपा खास तैयारी कर रही है।
पार्टी ने इन सभी 16 सीटों पर कमजोर बूथों की पहचान कर ली है। इन कमजोर बूथों में ज्यादातर यादव, मुस्लिम और जाटव बहुल है। इन सीटों पर पार्टी बूथ वाइज तैयारी करेगी। भाजपा ने इन सीटों पर दिग्गज विपक्षी नेताओं को घेरने के लिए पहले ही अपने मंत्रियों की फौज को जमीन पर उतार दिया है। मोदी सरकार के मंत्री लगातार इन लोक सभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को और मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को सौंपी गई है। दोनों नेताओं को कई अन्य सीटों की भी जिम्मेदारी दी गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और अन्नपूर्णा देवी को भी 2019 में हारी हुई तीन-तीन लोक सभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।
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