लखनऊ: इस चेहरे को गौर से देखिए। सफेद रौबदार मूंछें, सख्त चेहरा… कभी इस शख्स की परछाईं तक से चंबल घाटी कांपती थी। इस शख्स का नाम है तहसीलदार सिंह (Tehsildar Singh)। दुर्दांत डाकू मान सिंह (maan singh dacoit) का बेटा। वह मान सिंह जिस पर 1939 से 1955 के बीच हजार डकैतियों और 185 हत्याओं का आरोप था। इनमें से 32 हत्याएं केवल पुलिसवालों की थीं। गांव में शुरू हुए पानी भरने के विवाद से चंबल घाटी के सबसे भयावह दस्यु परिवार की कहानी शुरू हुई। लेकिन तहसीलदार सिंह की उम्रकैद और फिर सरकार की कोशिशों की माफी के बाद 600 से ज्यादा डाकुओं के सरेंडर से इस कहानी का अंत भी हुआ।
तहसीलदार सिंह 1953 में पुलिस के हाथों अरेस्ट हुए थे। उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन आचार्य विनोबा भावे और कुछ दूसरे लोगों के प्रयासों से राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सिंह ने मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया। इसके बाद 18 साल बरेली जेल में सजा काटने के बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने चंबल के बीहड़ों से डाकुओं का सफाया करने का मन बनाया। इसके लिए तहसीलदार सिंह का इस्तेमाल किया गया, लेकिन तरीका बदला गया… एनकाउंटर नहीं सरेंडर।
पर्चा भरने के दौरान तहसीलदार सिंह
654 डाकुओं को सरेंडर करवाया
फिर 1960 से 1976 के बीच तहसीलदार सिंह की मध्यस्थता के बाद 654 डाकुओं ने सरेंडर कर दिया। इनमें मान सिंह के गिरोह के रूपा और लुखा डकैत शामिल थे। इन डाकुओं का पुनर्वास किया गया। तहसीलदार सिंह के बेटे शेर सिंह को एमपी के चीफ मिनिस्टर प्रकाश सिंह सेठी ने सब इंस्पेक्टर नियुक्त किया। बाद में वह डीएसपी के पद से रिटायर हुए।
मुलायम के खिलाफ ठोंकी ताल
राम मंदिर आंदोलन के दौर में तहसीलदार सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। उस समय यूपी की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का दबदबा था। यूपी की राजनीति में उस समय बाहुबल की चलती थी। बूथ कैप्चरिंग आम थी। मुलायम सिंह यादव पर आरोप लगते थे कि उनकी पार्टी इटावा और आसपास के जिलों में बूथ कैप्चरिंग करके चुनाव जीतते हैं।
मुलायम सिंह की काट के तौर पर बीजेपी ने तहसीलदार सिंह को टिकट देकर इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट पर उतार दिया। बताया जाता है कि वोटिंग के समय तहसीलदार सिंह को खबर मिली कि समाजवादी पार्टी ने एक बूथ पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद तहसीलदार सिंह पहुंचे और पूरी मतपेटियां ही उस बूथ से उठाकर ले गए। काफी चुनाव हिंसा हुई, कांग्रेस की ओर से एक और बाहुबली दर्शन सिंह यादव थे। लेकिन जीत मुलायम सिंह यादव की हुई।
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