प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब 26,409 अनुदेशकों को 17 हजार प्रति माह मानदेय देने के मामले में फैसला सुरक्षित किया। कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील पर गुरुवार को बहस हुई। करीब दो घंटे तक चली बहस के बाद मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने फैसला सुरक्षित कर लिया।
राज्य सरकार की विशेष अपील की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की खंडपीठ ने की। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने बहस की। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जुलाई 2017 में याचियों यानी अनुदेशकों ने 8470 रुपये मानदेय की संविदा की थी, इसलिए याची 17 हजार प्रतिमाह मानदेय पाने के हकदार नहीं हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 17 हजार मानदेय केवल एक साल के लिए जारी हुआ था। महाधिवक्ता ने कहा कि अनुदेशकों की तैनाती एक साल की संविदा पर होती है। अगले सत्र में कार्य संतोषजनक होने पर नवीनीकरण का नियम है।
वहीं, अनुदेशकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एन. सिंह और अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने याचियों को 17 हजार मानदेय देने का आदेश दिया है, लेकिन राज्य सरकार ने 17 हजार मानदेय देने के आदेश का पालन नहीं किया। इसके जवाब में राज्य सरकार का कहना था कि केंद्र सरकार की ओर से पूरा फंड नहीं दिया गया है, जबकि केंद्र ने बताया है कि हमने पूरा फंड दे दिया है। प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17,000 रुपये कर दिया था। जिसको प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है।
बता दें कि याची अनुदेशक विवेक सिंह, आशुतोष शुक्ला और भोला नाथ पांडेय की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने अनुदेशकों को 2017 से 17,000 मानदेय 9 फीसद ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार को प्रदेश के जूनियर विद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे करीब 26,409 अनुदेशकों को प्रति माह 17 हजार मानदेय देना स्वीकार नहीं था। फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष अपील दाखिल की है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे अनुदेशक
उत्तर प्रदेश के जूनियर स्कूलों में शिक्षण कार्य कर रहे अनुदेशकों को अभी मात्र 7 हजार रुपया महीना मानदेय मिल रहा है। हालांकि, योगी सरकार ने इनके मानदेय में 2 हजार रुपये बढ़ोतरी की घोषणा की थी। अनुदेशकों को कम मानदेय मिलने की वजह से हार्दिक तंगी और अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक तंगी की वजह से कुछ अनुदेशक आत्महत्या भी कर चुके हैं।
इनपुट- शिवपूजन सिंह
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