प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री श्री ए0के0 शर्मा ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार की मंशानुसार किसानों को पर्याप्त बिजली देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तथा किसानों को बिजली की निर्बाध आपूर्ति मिले इसके लिए प्रत्येक डिस्काम को 05 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि प्रदान की गई है। इस धनराशि से क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर को बदलने, उसकी क्षमता वृद्धि करने एवं अनुरक्षण सम्बन्धी ऐसे कार्य कराए जाएंगे, जिससे किसानों को निर्बाध व पर्याप्त बिजली मिले और इससे उन्हें अपनी फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि यह धनराशि प्रत्येक डिस्कॉम के वार्षिक प्लान के अतिरिक्त होगी।
श्री ए0के0 शर्मा ने कहा कि अतिशय गर्मी तथा कम बरसात के कारण किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई में परेशानी न हो, इसके लिए उनके निजी नलकूप कनेक्शन में तेजी लाई जा रही है। इसमें अधिकारियों की किसी भी प्रकार की कोताही एवं बहानेबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस कार्य में तेजी लाकर इस महीने में अब तक किसानों के 2176 निजी नलकूपों को विद्युत कनेक्शन दिया गया है। इसमें से पूर्वांचल में 466, मध्यांचल में 477, दक्षिणांचल में 823, पश्चिमांचल में 410 कनेक्शन दिये गये।
इसी प्रकार विगत 05 महीने में अप्रैल से अगस्त, 2022 तक किसानों के निजी नलकूप हेतु 18,846 कनेक्शन दिए गए। दैनिक कनेक्शन देने में भी और गति लाई गई है।
ऊर्जा मंत्री श्री ए0के0 शर्मा ने बताया कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति की सुचारू बहाली के लिए क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर को शीघ्र बदलने और इसकी क्षमता वृद्धि पर भी कार्य किया जा रहा है इस महीने में 04 सितंबर तक कुल 4456 ट्रांसफार्मर बदले गए। इसके पहले अप्रैल से अगस्त के बीच 05 महीनों में 1,46,136 ट्रांसफार्मर को बदला गया है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इस वर्ष गर्मी के महीनों में बिजली की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है।इस साल अगस्त माह तक विद्युत की औसत पीक डिमांड 22151 मेगावाट और औसत न्यूनतम डिमांड 8608 मेगावाट रही है, जो कि विगत 10 वर्षों की औसत मांग के सापेक्ष लगभग दोगुनी है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तो यह मांग बढ़कर 26500 मेगावाट से भी ऊपर चली गई। अगस्त महीने में अधिकतम औसत मांग 24500 मेगावाट रही और 12000 मेगावाट न्यूनतम औसत मांग रही है। वर्तमान की न्यूनतम मांग का औसत पिछले दशक की अधिकतम मांग के औसत से भी ज्यादा है। इसके पहले विगत 10 वर्षों में पीक डिमांड 11708 मेगावाट रही है और न्यूनतम मांग 5187 मेगावाट रही।
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