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प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 विधान मण्डल में प्रस्तुत किये जाने व इसके पारित कराये जाने हेतु मा0 मंत्रि-परिषद द्वारा अनुमोदन

 प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 का अनुमोदन तथा विधान मण्डल में विधेयक के प्रस्तुत किये जाने व इसके पारित कराये जाने का मा0 मंत्रि-परिषद द्वारा आज अनुमोदन प्रदान किया गया।
 उत्तर प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने यह जानकारी देते हुये बताया कि केन्द्र सरकार एवं राज्यों द्वारा माल के उत्पादन, सप्लाई, खरीद या बिक्री तथा सेवाओं पर लगाये जा रहे अनेक अप्रत्यक्ष करों को समाहित करते हुये केन्द्र एवं राज्य स्तर पर गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स (जी0एस0टी0) प्रणाली दिनांक 01 जुलाई, 2017 से लागू किया गया है, जिसके लिये उत्तर प्रदेश माल एवं सेवाकर अधिनियम अधिनियमित है।
श्री खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम संख्या 1 सन् 2017) की धारा 16, धारा 29, धारा 34, धारा 37, धारा 38, धारा 39, धारा 41, धारा 47, धारा 48, धारा 49, धारा 50, धारा 52, तथा धारा 54 में संशोधन किया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त धारा 42, 43 और धारा 43क निकाल दी जायेंगी। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित संशोधन की धारा 16, धारा 34, धारा 38, धारा 41, आदि के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे से संबंधित प्राविधानों में परिवर्तन करते हुए प्रक्रिया का सरलीकरण करने के साथ-साथ इसे पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है। धारा 38 के माध्यम से उन स्थितियों को स्पष्ट किया गया है जिनमें व्यापारी को आई0टी0सी देय नहीं होगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि धारा 29 में संशोधन के माध्यम से समाधान योजना अपनाने वाले छोटे करदाताओं को रिटर्न न दाखिल किये जाने के कारण किये जाने वाले पंजीयन निरस्तीकरण की समयावधि संबंधित वित्तीय वर्ष की समाप्ति के तीन माह पश्चात तक बढ़ाते हुए राहत प्रदान की गयी है। धारा 37, धारा 39 में संशोधन के माध्यम से रिटर्न तथा आउटवर्ड सप्लाई के विवरण के दाखिले के प्राविधानों को सरल करने के साथ साथ तर्क संगत बनाया गया है। धारा 42, धारा 43 एवं धारा 43क को निकाल दिया गया है। इस प्रकार आई0टी0सी0 के मैचिंग एवं रिवर्सल में दोहरे सूचना तंत्र को समाप्त करते हुए प्रक्रिया को सरल किया गया है। धारा 47 में संशोधन के माध्यम से इन्वर्ड सप्लाई का विवरण देर से दाखिल करने पर लगने वाली लेट फीस को समाप्त कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार धारा 48 में संशोधन के माध्यम से जी०एस०टी० प्रैक्टिशनर से संबंधित प्राविधानों में परिवर्तन किये गये है। धारा 49 में संशोधन के माध्यम से आई0टी0सी के द्वारा कर के समायोजन संबंधी प्रविधानों में परिवर्तन किया गया है। धारा 50 में गलत आई0टी0सी के समायोजन की दशा में केवल समायोजित राशि पर ब्याज की देयता निर्धारित की गयी है। धारा 52 के अन्तर्गत ई-कामर्स आपरेटर द्वारा दाखिल रिटर्नों में संशोधन की समय-सीमा बढ़ाकर अगले वित्तीय वर्ष की 30 नवम्बर की गयी है। धारा 54 में संशोधन के माध्यम से यू0आई0एन0 (अन्तर्राष्ट्रीय संगठनो को दिया जाने वाला पंजीयन) के लिये रिफण्ड की समय-सीमा बढ़ा दी गयी है।