लखनऊ: राजधानी लखनऊ के लग्जरी होटल लेवाना सूईट्स में सोमवार सुबह करीब 8 बजे आग लग गई। आग में कई लोग झुलस गए। वहीं अब तक इस हादसे में 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। चारों मृतक लखनऊ के निवासी हैं। गुरनूर आनंद, साहिबा कौर दोनों मगेतर हैं, जिनकी इस हादसे में दर्दनाक मौत हो गई है। 2 शव बाद में निकाले गए हैं। इस हादसे से अधिकारियों में हड़कंप मच गया। इसके साथ ही दमकल विभाग कि लापरवाही के साथ ही तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, प्रशासन और होटल प्रबंधन की घोर लापरवाही से बड़ा हादसा हुआ है, क्योंकि इस होटल की फायर एनओसी भी नहीं थी। इसके साथ ही आग लगने के बाद अलार्म भी नहीं बजा। यहां तक कर्मचारी भी वहां ठहरे लोगों को सूचना देने के बजाय खुद बाहर आ गए। यही वजह है कि इतना बड़ा हादसा हो गया।
किचन से आग लगने की आशंका
अग्निशमन विभाग की पड़ताल में सामने आया कि तीसरी मंजिल पर ही किचन था। बताया जाता है कि आग यही से फैली है। सबसे पहले दो शव इसी मंजिल की गैलरी में मिले थे। बाकी शव तीसरी मंजिल के कमरे से निकाले गए हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम अभी चेकिंग कर रही है। पहली और दूसरी मंजिल पर रेस्क्यू पूरा हो चुका है।
इनकी हुई मौत
1. गुरनूर आनंद
2. साहिबा कौर
3. अमान गाजी उर्फ बॉबी
4.श्रीविका सिंह उर्फ चिया
इलाज में न हो कोई चूक – ब्रजेश पाठक
वहीं घटना की जानकारी मिलते ही उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी होटल लेवना पहुंचे और वहां की स्थिति का जायजा लिया। उपमुख्यमंत्री सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि अग्निकांड पीड़ितों को सिविल, केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल में भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टरों से कहा पूरा इलाज मुफ्त होगा। प्रत्येक मरीज की सेहत से जुड़ी जानकारी मुझसे लगातार साझा करते रहें। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर सूचना दें। इलाज में किसी भी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए।
मशीन से काटे गए शीशे
होटल लेवाना सूईट पूरी तरह से पैक था। होटल के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए खिड़कियों के शीशे तोड़ना ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में खिड़कियों के शीशे काटने के लिए मशीन मंगाई गई। इसके बाद भी खिड़कियों के ऊपर लगे लोहे को काटने में काफी वक्त लग रहा था। फायर ब्रिगेड के जवान खिड़कियों से होटल में घुसकर लोगों को बाहर निकालने की कोशिश में जुट गए। आग पर काबू पाने के लिए भी लगातार कई घंटे तक फायर ब्रिगेड के जवान जूझते रहे।
पुलिस कमिश्नर और मंडलायुक्त कर रहें जांच
लखनऊ कमिश्नर एस बी शिरोड़कर ने बताया कि होटल प्रबंधन के रिकॉर्ड के अनुसार 38 से 40 लोग वहां पर रुके हुए थे। इसमें से 10 लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया। 2 लोगों की अस्पताल में दुखद मौत हो गई है। 7 लोग अभी हॉस्पिटल में भर्ती है। इसके बाद 2 और शव होटल के अंदर से निकाले गए हैं। होटल के कमरों में धुआं ज्यादा होने के कारण अभी तक कितने लोग अंदर फंसे हैं। इसकी जानकारी नहीं हो पा रही है। पुलिस कमिश्नर और मंडलायुक्त रोशन जैकब को जांच के दिशा निर्देश दिए गए हैं, जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
स्टाफ की लापरवाही से खतरे में पड़ी जानें
बताया जा रहा है कि होटल के डिजाइन में कमी और स्टाफ की लापरवाही की वजह से आग भड़कती रही, लेकिन उसमें ठहरे गेस्ट को आग की जानकारी तक नहीं हुई। धुंए की वजह से सो रहे मेहमानों की आंख खुली तो जान बचाने की दौड़ शुरू हुई। होटल में ठहरे गेस्ट ने बताया कि न तो किसी ने फायर अलार्म बजाया, न दरवाजा नॉक किया, न रिशेप्सन से फोन ही आया। धुएं की वजह से हमारी आंख खुली। बाहर आकर देखा तो पाया कि आग लगी है। पाइप के सहारे नीचे उतरे तो पाया होटल का स्टाफ बाहर खड़ा है।
होटल की डिजाइन में थीं खामियां
आग बुझाने, रेस्क्यू करने के लिए फायर ब्रिगेड, स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ के जवान जद्दोजहद करते दिखे। उन्हें होटल में घुसने की सुरक्षित और खुली जगह नहीं मिल रही थी। जहां जगह कांच के पैनल लगे थे, उनके पीछे लोहे और स्टील के रॉड लगे थे। होटल की दूसरी तरफ दीवार में न खिड़की थी न रोशनदान थे। मजबूरन जेसीबी की मदद से लोहे के रॉड काटने पडे़। इसी तरह जेसीबी की ही मदद से एक फुट मोटी दीवार में छेद करना पड़ा, जहां से अंदर पानी डालकर आग बुझाई गई।
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