डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में विशेष शिक्षा संकाय के अंतर्गत दृष्टिबाधिता विभाग द्वारा विश्वविद्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया स जिसका विषय बद्री बधिरांधता एवम बहु निशक्तता के साथ दृष्टिबाधिता था। कार्यक्रम के प्रमुख व्याख्यातागण पर्किंस इंडिया की प्रतिनिधि श्रीमती संपदा सेवड़े एवं श्रीमती अनुराधा मूंगी जी थी । कार्यक्रम की रूपरेखा एवं परिचय दृष्टिबाधितार्थ विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विजय शंकर शर्मा जी के द्वारा किया गया। इस एक दिवसीय कार्यक्रम में विशेष शिक्षा संकाय के सभी शिक्षक एवं इसके अंतर्गत विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे सभी विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया एवं इस व्याख्यान के द्वारा लाभान्वित हुए। उनको
दृष्टिबाधिता के साथ अतिरिक्त निःशक्तता वाले बच्चे एवं बाधिरांध बच्चों को की प्रमुख समस्याओं के बारे में प्रमुखता से बताया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विशेष शिक्षा संकाय के अध्यक्षता प्रो. आरआर सिंह द्वारा की गई। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा कोविड महामारी के दौरान महसूस की गई प्रमुख समस्याओं के बारे में भी चर्चा की गई । इस अवसर पर पधारी मुंबई की श्रीमती संपदा शेवड़े ने इस बात पर जोर दिया जो व्यक्ति दृष्टि दिव्यांगता के साथ बहुदिव्यांग से ग्रस्त होते हैं उन्हें एक ऐसे संप्रेषण माध्यम की आवश्यकता होती है जो चार हाथों अर्थात दो हाथ श्रवण बाद श्रवण एवं दृष्टिबाधित के एवं एक हाथ उस व्यक्ति का दो उसके साथ कम्युनिकेट कर सकता है इस प्रकार दोनों व्यक्ति एक दूसरे के हाथों में हाथ रख कर के इस प्रकार कम्युनिकेट करते हैं इस प्रकार संप्रेषण करते हैं कि वह अपनी बातों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सके हैं उन्होंने इस बात की ओर भी संकेत किया कि प्रत्येक व्यक्ति में चाहे वह दृष्टिबाधित हो चाहे श्रवण बाधित हो संप्रेषण की उतनी ही क्षमता होती है जितने की किसी अन्य व्यक्ति के संप्रेषण में होती है और संप्रेषण के माध्यमों पर भी विस्तार पूर्वक दोनों वक्ता गणों के द्वारा की गई। श्री श्रीमती अनुराधा मुंगी ने दृष्टि दिव्यांगता सहित अन्य दिव्यांगता वाले बालकों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने बताया कि वर्तमान में ऐसे व्यक्तियों की पहचान बहुत कम हो पाती है और इसी वजह से बहु दिव्यांगता सहित अन्य दिव्यांगता वाले बच्चों में प्रॉपर या उचित प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों की कमी के चलते इस प्रकार के बच्चों में उचित शिक्षण एवं पुनर्वसन की व्यवस्था नहीं हो पाती है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है इसलिए विश्वविद्यालय को अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर एवं भारत सरकार के साथ मिलकर इस प्रकार की दिव्यांगता वाले बच्चों के प्रति अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करने की नितांत आवश्यकता है। कार्यक्रम के मंच का संचालन डॉ बृजेश राय द्वारा किया गया, इस अवसर पर पूर्व विशेष शिक्षा संकाय के डीन एवं विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर वी के सिंह, श्रवण बाधितार्थ विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ कौशल शर्मा, डॉ देवेश कटियार, डॉ दिनेश कुमार, श्री आशीष कुमार गुप्ता, श्री विकास कुशवाहा, श्रीमती नीलम श्रीमती विभा तिवारी सुश्री पूजा एवं श्री नीरज दीक्षित आदि उपस्थित रहे।
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