बांदा : बुंदेलखंड का किसान कभी सूखा कभी जरूरत से ज्यादा बारिश के कारण तबाह होता आया है। इस बार उनकी फसल पर बाढ़ ने कहर ढाया है। कई दिनों तक बाढ़ के पानी में डूबी रही फसल अब सड़ गई है। इससे किसानों के सामने परिवार का पेट भरने की समस्या पैदा हो गई है। अकेले बांदा जनपद के पैलानी तहसील के अंतर्गत 46 गांवों में 3600 बीघे खेत में खड़ी फसल चौपट होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। सर्वे के बाद असली तस्वीर सामने आ पाएगी।
किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया
यमुना नदी में आई जबरदस्त बाढ़ के चलते जल स्तर खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर पहुंच गया था। जिससे जनपद के आधा सैकड़ा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। बाढ़ के कारण जहां कई परिवारों की गृहस्थी उजड़ गई है। वहीं किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। जिन किसानों ने अपने खेतों में अरहर, ज्वार और तिल की फसलें बोई थीं, वह सब बाढ़ के पानी में खराब हो गईं।
बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा तबाही पैलानी तहसील के 46 गांवों में हुई है। इस क्षेत्र के रामबरन, शिव मोहन, रामचरण निषाद आदि किसानों का कहना है कि उन्होंने 4000 से अधिक बीघे खेतों में बुवाई की थी। इन किसानों के अनुसार इसमें लगभग 3600 बीघे की फसल पूरी तरह खराब हो गई है। बाढ़ का पानी घटने के बाद स्थिति पूरी तरह साफ हो पाएगी।
कृषि विभाग भी सर्वे करेगा
इस बारे में पैलानी तहसील के एसडीएम लाल सिंह का कहना है कि बाढ़ में हुए फसलों के नुकसान का जायजा लेने के लिए राजस्व टीम को लगाया गया है। अभी कई जगह पर पानी भरा हुआ है। जैसे-जैसे पानी घट रहा है। राजस्व की टीमें उन गांवो में पहुंचकर सर्वे करने में जुटी हैं। बताया तहसील से सूची मिलते ही कृषि विभाग भी अपनी ओर से सर्वे करेगा और कितने किसानों का कितना नुकसान हुआ है, इसका आंकलन होने के बाद पीड़ित किसानों को फसल का मुआवजा देने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
रिपोर्ट-अनिल सिंह
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