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खैर के पूर्व विधायक और रालोद नेता प्रमोद गौड़ की हत्या की साजिश दूसरी बार रची गई है। बात ज्यादा पुरानी नहीं, वर्ष 2018 की है। जब खैर कस्बे में प्रमोद गौड़ के बेहद करीबी कारोबारी विजय गंगल की शाम को उस समय हत्या की गई, जब वे और प्रमोद गौड़ साथ में थे। दोनों ही एक जैसे रंग की शर्ट पहने थे। शोर मचा था कि निशाना प्रमोद गौड़ थे। मगर गलती से शूटरों के निशाने पर विजय गंगल आ गए।
कई दिन तक खुद प्रमोद गौड़ धरने पर बैठे और सुपारी देने वाले और साजिशकर्ता का नाम उजागर करने की आवाज उठी। मगर आज तक खुलासा नहीं हो सका, रुपयों की देनदारी से जुड़े विवाद में इलाके के कुछ लोगों द्वारा विजय गंगल की हत्या कराया जाना उजागर कर पुलिस ने केस दाखिल दफ्तर कर दिया। अब चार साल बाद पुलिस ने प्रमोद गौड़ की हत्या की साजिश से पर्दा हत्या से पहले उठा दिया है।
खुद तत्कालीन एसपी देहात ने स्वीकारा कि खैर के एक सियासी रसूखदार की गर्दन तक उनकी जांच पहुंच रही है। मगर रुपये विवाद में हत्या होना उजागर हुआ। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर खैर कस्बे के सियासतदाओं में रसूख और जमीनी अदावत किस करवट बैठेगी।
दोनों के बीच यह विवाद खैर के प्रतिष्ठित खैर इंटर कॉलेज के प्रबंधन पर पूर्व विधायक प्रमोद गौड़ के रसूख को लेकर है। संजीव अग्रवाल के नगर पालिका अध्यक्ष बनने के बाद खैर इंटर कालेज की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ था।
अब फिर जमीनी शिकायत पर पुराने संबंधों में तैयार किए गुर्गे
एसपी देहात पलाश बंसल के अनुसार पुलिस हिस्ट्रीशीटर राजकुमार के चेयरमैन संजीव अग्रवाल से पुराने रिश्ते हैं। पूछताछ में राजकुमार ने स्वीकारा कि 2018 तक जेल में रहने के दौरान संजय, राहुल व करन आदि से उसकी जान-पहचान हुई थी । इधर, मार्च 2022 से चेयरमैन व राजकुमार के बीच प्रमोद गौड़ की हत्या को लेकर बातचीत चल रही थी। अगस्त के शुरुआत में 25 लाख रुपये में डील तय हुई।
इस पर राजकुमार ने शूटरों का इंतजाम किया और रैकी के लिए उन्हें 6 अगस्त को खैर लाया गया। इस दौरान वे खैर के होटल टाउन प्लाजा में विकास उर्फ बॉबी के जरिये रुके। फिर चेयरमैन के कार्यालय पर रुके। इसी बीच प्रमोद गौड़ के घर, कॉलेज व दफ्तर की रैकी कराई गई।
इसी दौरान चेयरमैन के कार्यालय से एक लाख रुपया व हथियार दिए गए। इन सभी तथ्यों के सीसीटीवी साक्ष्य मिले। 12 अगस्त को फरार शूटर बबलू पहलवान का ड्राइवर सागर सिगरेट पीने निकला और चेकिंग में उसे चोरी की बाइक सहित खैर पुलिस ने दबोचा था। जिसे दबाव बनाकर चेयरमैन ने छुड़वा लिया, मगर बाइक थाने में सीज खड़ी है।
सीसीटीवी / सर्विलांस के साक्ष्य
– राजकुमार-संजीव के बीच मार्च से अगस्त तक कई बार बातचीत। राजकुमार की खैर में लोकेशन।
-अगस्त 2022 में राजकुमार की संजय, बबलू व अन्य के बीच हुई फोन पर कई बार बातचीत।
-संजीव के कर्मी विकास द्वारा राजकुमार से जनवरी से अगस्त तक फोन पर हुई बातचीत।
-संजीव की बबलू के ड्राइवर सागर से 12 अगस्त को कई बार फोन पर बात। खैर में लोकेशना।
-विकास, संजय व राहुल शर्मा व अन्य आरोपी 7 अगस्त से 18 अगस्त तक एक-दूसरे से संपर्क में।
-विकास उर्फ बॉबी व राहुल शर्मा की रैकी करते की सीसीटीवी फुटेज।
-होटल टाउन प्लाजा में ठहराव संबंधी अभिलेख पुलिस को मिले।
-संजीव के कार्यालय से हथियार सप्लाई होने की की फुटेज/वीडियो/फोटो मिले।
ये हुआ बरामद
रैकी में शामिल बाइक, सुपारी एडवांस के 1 लाख रुपये, एक सेंट्रो कार, तमंचा, कारतूस, रैकी में शामिल दो अन्य बाइक।
चेयरमैन सहित सभी पर आपराधिक मुकदमे
पुलिस रिकार्ड के अनुसार चेयरमैन पर कुल 4 मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें एक 2011 में कारोबारी आनंद शर्मा मोनू पर हमले का भी मुकदमा है। इसके अलावा राजकुमार पर 16, करन पर 10, संजय पर 9, राहुल पर 8 मुकदमे दर्ज हैं।
भाजपा बागी के रूप में चुनाव जीते, अब भाजपाई नहीं
चेयरमैन संजीव अग्रवाल के वर्तमान में भाजपाई होने पर जिलाध्यक्ष ने सिरे से नकार दिया है। मगर वे कभी भाजपाई हुआ करते थे। चेयरमैन का टिकट न मिलने पर उन्होंने बागी के रूप में निर्दल नामांकन कर चुनाव जीता था और भाजपा के अन्नू आजाद को हराया था। इसके बाद वे फिर से भाजपा नेताओं के करीबी बने हुए हैं। भाजपा के कार्यक्रमों में उनकी मौजूदगी। नेताओं के घर आना जाना आदि शामिल है।
मगर जिलाध्यक्ष ऋषिपाल सिंह का कहना है कि वे किसी भी स्तर पर पार्टी सदस्य नहीं हैं। बागी के रूप में चुनाव लड़ा था। यह बाबा की सरकार है। पहले कभी ऐसा होता था कि हत्या करने के बाद भी साजिश रचने वाला सामने नहीं आता था। मगर अब ऐसा नहीं है। घटना से पहले साजिश रचने वाला सामने आता है। इस प्रकरण में ऐसा ही हुआ है। अपने जिले में पूर्व में ऐसी घटना हुई हैं। जिनमें साजिश रचने वालों के नाम तक सामने नहीं आए।
-मैं शुक्रगुजार हूं एसएसपी, एसपी देहात व उनकी टीम का, जिन्होंने मेरी बात सुनी। मुझे न्याय मिला है। विजय गंगल की हत्या के समय भी मैं निशाने पर था। अब दूसरी बार यह साजिश रची गई। अब पुलिस कार्रवाई कर रही है। -प्रमोद गौड़, पूर्व विधायक
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खैर के पूर्व विधायक और रालोद नेता प्रमोद गौड़ की हत्या की साजिश दूसरी बार रची गई है। बात ज्यादा पुरानी नहीं, वर्ष 2018 की है। जब खैर कस्बे में प्रमोद गौड़ के बेहद करीबी कारोबारी विजय गंगल की शाम को उस समय हत्या की गई, जब वे और प्रमोद गौड़ साथ में थे। दोनों ही एक जैसे रंग की शर्ट पहने थे। शोर मचा था कि निशाना प्रमोद गौड़ थे। मगर गलती से शूटरों के निशाने पर विजय गंगल आ गए।
कई दिन तक खुद प्रमोद गौड़ धरने पर बैठे और सुपारी देने वाले और साजिशकर्ता का नाम उजागर करने की आवाज उठी। मगर आज तक खुलासा नहीं हो सका, रुपयों की देनदारी से जुड़े विवाद में इलाके के कुछ लोगों द्वारा विजय गंगल की हत्या कराया जाना उजागर कर पुलिस ने केस दाखिल दफ्तर कर दिया। अब चार साल बाद पुलिस ने प्रमोद गौड़ की हत्या की साजिश से पर्दा हत्या से पहले उठा दिया है।
खुद तत्कालीन एसपी देहात ने स्वीकारा कि खैर के एक सियासी रसूखदार की गर्दन तक उनकी जांच पहुंच रही है। मगर रुपये विवाद में हत्या होना उजागर हुआ। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर खैर कस्बे के सियासतदाओं में रसूख और जमीनी अदावत किस करवट बैठेगी।
दोनों के बीच यह विवाद खैर के प्रतिष्ठित खैर इंटर कॉलेज के प्रबंधन पर पूर्व विधायक प्रमोद गौड़ के रसूख को लेकर है। संजीव अग्रवाल के नगर पालिका अध्यक्ष बनने के बाद खैर इंटर कालेज की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ था।
अब फिर जमीनी शिकायत पर पुराने संबंधों में तैयार किए गुर्गे
एसपी देहात पलाश बंसल के अनुसार पुलिस हिस्ट्रीशीटर राजकुमार के चेयरमैन संजीव अग्रवाल से पुराने रिश्ते हैं। पूछताछ में राजकुमार ने स्वीकारा कि 2018 तक जेल में रहने के दौरान संजय, राहुल व करन आदि से उसकी जान-पहचान हुई थी । इधर, मार्च 2022 से चेयरमैन व राजकुमार के बीच प्रमोद गौड़ की हत्या को लेकर बातचीत चल रही थी। अगस्त के शुरुआत में 25 लाख रुपये में डील तय हुई।
इस पर राजकुमार ने शूटरों का इंतजाम किया और रैकी के लिए उन्हें 6 अगस्त को खैर लाया गया। इस दौरान वे खैर के होटल टाउन प्लाजा में विकास उर्फ बॉबी के जरिये रुके। फिर चेयरमैन के कार्यालय पर रुके। इसी बीच प्रमोद गौड़ के घर, कॉलेज व दफ्तर की रैकी कराई गई।
इसी दौरान चेयरमैन के कार्यालय से एक लाख रुपया व हथियार दिए गए। इन सभी तथ्यों के सीसीटीवी साक्ष्य मिले। 12 अगस्त को फरार शूटर बबलू पहलवान का ड्राइवर सागर सिगरेट पीने निकला और चेकिंग में उसे चोरी की बाइक सहित खैर पुलिस ने दबोचा था। जिसे दबाव बनाकर चेयरमैन ने छुड़वा लिया, मगर बाइक थाने में सीज खड़ी है।
सीसीटीवी / सर्विलांस के साक्ष्य
– राजकुमार-संजीव के बीच मार्च से अगस्त तक कई बार बातचीत। राजकुमार की खैर में लोकेशन।
-अगस्त 2022 में राजकुमार की संजय, बबलू व अन्य के बीच हुई फोन पर कई बार बातचीत।
-संजीव के कर्मी विकास द्वारा राजकुमार से जनवरी से अगस्त तक फोन पर हुई बातचीत।
-संजीव की बबलू के ड्राइवर सागर से 12 अगस्त को कई बार फोन पर बात। खैर में लोकेशना।
-विकास, संजय व राहुल शर्मा व अन्य आरोपी 7 अगस्त से 18 अगस्त तक एक-दूसरे से संपर्क में।
-विकास उर्फ बॉबी व राहुल शर्मा की रैकी करते की सीसीटीवी फुटेज।
-होटल टाउन प्लाजा में ठहराव संबंधी अभिलेख पुलिस को मिले।
-संजीव के कार्यालय से हथियार सप्लाई होने की की फुटेज/वीडियो/फोटो मिले।
ये हुआ बरामद
रैकी में शामिल बाइक, सुपारी एडवांस के 1 लाख रुपये, एक सेंट्रो कार, तमंचा, कारतूस, रैकी में शामिल दो अन्य बाइक।
चेयरमैन सहित सभी पर आपराधिक मुकदमे
पुलिस रिकार्ड के अनुसार चेयरमैन पर कुल 4 मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें एक 2011 में कारोबारी आनंद शर्मा मोनू पर हमले का भी मुकदमा है। इसके अलावा राजकुमार पर 16, करन पर 10, संजय पर 9, राहुल पर 8 मुकदमे दर्ज हैं।
भाजपा बागी के रूप में चुनाव जीते, अब भाजपाई नहीं
चेयरमैन संजीव अग्रवाल के वर्तमान में भाजपाई होने पर जिलाध्यक्ष ने सिरे से नकार दिया है। मगर वे कभी भाजपाई हुआ करते थे। चेयरमैन का टिकट न मिलने पर उन्होंने बागी के रूप में निर्दल नामांकन कर चुनाव जीता था और भाजपा के अन्नू आजाद को हराया था। इसके बाद वे फिर से भाजपा नेताओं के करीबी बने हुए हैं। भाजपा के कार्यक्रमों में उनकी मौजूदगी। नेताओं के घर आना जाना आदि शामिल है।
मगर जिलाध्यक्ष ऋषिपाल सिंह का कहना है कि वे किसी भी स्तर पर पार्टी सदस्य नहीं हैं। बागी के रूप में चुनाव लड़ा था। यह बाबा की सरकार है। पहले कभी ऐसा होता था कि हत्या करने के बाद भी साजिश रचने वाला सामने नहीं आता था। मगर अब ऐसा नहीं है। घटना से पहले साजिश रचने वाला सामने आता है। इस प्रकरण में ऐसा ही हुआ है। अपने जिले में पूर्व में ऐसी घटना हुई हैं। जिनमें साजिश रचने वालों के नाम तक सामने नहीं आए।
-मैं शुक्रगुजार हूं एसएसपी, एसपी देहात व उनकी टीम का, जिन्होंने मेरी बात सुनी। मुझे न्याय मिला है। विजय गंगल की हत्या के समय भी मैं निशाने पर था। अब दूसरी बार यह साजिश रची गई। अब पुलिस कार्रवाई कर रही है। -प्रमोद गौड़, पूर्व विधायक
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