मेरठ:भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से एमएलसी और यूपी सरकार में मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी (Chaudhary Bhupendra Singh) को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है। यूपी बीजेपी चीफ का ताज रखे जाने के पीछे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चौधराहट साधने के मकसद के तौर पर देखा जा रहा है। बीजेपी ने अभी से लोकसभा चुनाव 2024 के होमवर्क करना शुरू कर दिया है। उसी हिसाब से सियासी गोटी फिट कर रही है। यह कदम भूपेंद्र चौधरी के जरिये एक तरह से वेस्ट यूपी और उनके सजातीय जाट समुदाय को साधने वाला माना जा रहा है। इसके साथ ही सरकार और संगठन में समन्वय भी बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
दरअसल, किसान आंदोलन के बाद से ही यूपी में किसानों का एक बड़ा वर्ग और कुछ जाट नेता भाजपा से किनारा करते दिखते रहे थे। राज्यपाल और जाट नेता सत्यपाल मलिक लगातार सरकार पर हमले बोल रहे हैं। जाट समाज को गोलबंद करने में लगे है। भाकियू के राकेश टिकैत सरकार विरोधी मुहिम चला रहे हैं। भाकियू का गढ़ वेस्ट यूपी ही हैं। ऐसे में वेस्ट यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले जाट नेता भूपेंद्र चौधरी को तुरुप के पत्ते के तौर पर सामने लाया गया है। भूपेंद्र वेस्ट यूपी में बीजेपी के दो बार 8 साल क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। फिलहाल एमएलसी और योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं। वह वेस्ट यूपी के बेहतर तरीके से जानते हैं। बीजेपी का मानना है कि जाट वोट बैंक को साधने से वेस्ट यूपी में सपा रालोद गठबंधन का 2022 में बढ़ता दिखा असर भी कम किया जा सकेगा और 80 सीटों को जीतने का टारगेट पूरा किया जा सकता हैं।
ये है बीजेपी को कसक
वैसे भी 2019 के चुनाव में सपा बसपा के साथ रहने से बीजेपी जो 14 लोकसभा सीट हारी थी उनमें से सात वेस्ट यूपी की थी। इनमें सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद और रामपुर थी। मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत आदि सीट जीतने के लिए बीजेपी को काफी जोर लगाना पड़ा था। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन ने बीजेपी को काफी परेशान किया था। रालोद को सियासी संजीवनी वेस्ट यूपी में ही मिली थी। सपा भी मजबूत हुई थी। यह जाटों (किसानों) की नाराजगी से ऐसा हो सका था। ऐसे में संगठन के लंबा तजुर्बे, जाट बिरादरी और राजनीतिक अनुभव के बल पर भूपेंद्र चौधरी पर बीजेपी ने दांव लगाया हैं।
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टकराव भी टालने की रणनीति
भूपेंद्र दरअसल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के महामंत्री संगठन रहे सुनील बंसल के करीबी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी उनका सामंजस्य ठीक बताया जाता है। ऐसे में सरकार और संगठन में टकराव की स्थिति से भी बचा जा सकेगा। बीते दिनों सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश से हटाए जाकर राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद पार्टी के अंदर तालमेल को लेकर चर्चाएं चलने लगी थीं। इसी बीच केशव प्रसाद मौर्य की तरफ से भी कुछ ऐसे इशारे मिले, जिससे हलचल को बल मिल रही थी। इसमें
जाटों का गणित भी समझिए
वेस्ट यूपी में जाटों के गणित पर एक नजर डाले तो सियासत में इनकी अहमियत खास हैं। इनकी चौदराहतट से ही सियासी रुख यहां पर तय होता हैं। आंकड़ों के लिहाज से उत्तर प्रदेश में जाटों की जनसंख्या 7.5 प्रतिशत आंकी जाती हैं। लेकिन वेस्ट यूपी में करीब 18 फीसदी है। वेस्ट यूपी की मेरठ, बागपत, बुलंदशहर गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, हाथरस, मथुरा, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी, और फिरोजाबाद आदि सीट पर सीधा असर जाट समाज का हैं। विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी की करीब 127 सीटें यह समाज प्रभावित करता है।
2013 से बदल गई सियासी तस्वीर
2013 से पहले जाट समाज रालोद और दूसरे दलों के साथ था लेकिन मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद जाट समाज पूरी तरह से बीजेपी से जुड़ गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि इस समाज के बड़े नेता माने जाने वाले अजित सिंह और उनके बेटे जयंत तक दो चुनाव हार गए। रालोद सियासी सिफर पर पहुंच गई थी। किसान आंदोलन रालोद के लिए संजीवनी बना और लोकसभा, विधानसभा में भी उसका प्रतिनिधित्व हैं। ऐसे में बीजेपी चाहती है कि मुलायम सिंह यादव के सामने चुनावी दंभ भर चुके भूपेंद्र चौधरी के नाम पर जाट समाज को साधकर वेस्ट यूपी को पूरी तरह 2024 में फतह कर लिया जाए।
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दो अहम पद मुरादाबद मंडल से
संयोग है कि बीजेपी को 2024 में फतह कराने का जिम्मा वेस्ट यूपी पर खास तौर से रहेगा। क्योंकि प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए भूपेंद्र चौधरी और सुनील बंसल की जगह संगठन महामंत्री बनाए गए धर्म सिंह सैनी दोनों वेस्ट यूपी के रहने वाला हैं। एक ही मंडल मुरादाबाद से ताल्लुक रखते हैं। भूपेंद्र जहां मुरादाबाद के निवासी हैं वहीं धर्मपाल मुरादाबाद मंडल के बिजनौर जिले के रहने वाले हैं। दोनों पर ही संगठन को मजबूत करने करने सूबे की सभी 80 सीटें जीतने का टारगेट पूरा करने का जोर है।
भूपेंद्र चौधरी का जीवन और सियासी सफर
भूपेंद्र चौधरी का मुरादाबाद के रहने वाले हैं। वह जिले के महेंद्री सिकंदरपुर गांव के रहने वाले हैं। 1966 में किसान परिवार में जन्मे भूपेंद्र ने मुरादाबाद से पढ़ाई की है। विश्व हिंदू परिषद से जुड़े। 1991 में भाजपा में चले गए। 1999 में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ संभल से पार्टी ने कैंडिडेट बनाया हालांकि वह हार गए। जिसका इनाम 2012 में भाजपा के वेस्ट यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाकर दिया। 2016 और 2022 में विधान परिषद सदस्य बनाया गया। योगी सरकार में दोनों बार मंत्री बने।
इन नामों की चल रही थी चर्चा
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की तलाश कई महीनों से चल रही थी। इस रेस में बीजेपी के जिन नेताओं का नाम तेजी से चल रहा था। उनमें योगी सरकार में मंत्री भूपेंद्र चौधरी का नाम सबसे ऊपर था। वहीं, इस रेस में मौजूदा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का दावा भी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में प्रबल माना जा रहा था। कन्नौज से बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए तेजी से चल रहा था। दलित वर्ग से सांसद रमाशंकर कठेरिया तथा विनोद सोनकर के नाम भी समय समय पर चल रहा था।
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