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वृंदावन में बिहारीजी कॉरिडोर से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का स्वरूप बदल देगा। देश में अनेक मंदिरों में कॉरिडोर की मौजूदगी ने मंदिर की व्यवस्था और खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं। इसमें नवनिर्मित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को वृंदावन के लिए आधार बनाया जा रहा है। हालांकि रामेश्वरम धाम का प्राचीन कॉरिडोर सबसे बड़ा है, जिसकी खूबसूरती वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंगला दर्शन के दौरान बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ के दबाव के चलते दो श्रद्धालुओं की मौत के बाद शासन और प्रशासन स्तर पर मंदिर के लिए कॉरिडोर को लेकर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है। इस पर रिपोर्ट भी अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने जिलाधिकारी से मांगी है। जिला प्रशासन ने तथ्य जुटाते हुए काशी विश्वनाथ की तर्ज पर कॉरिडोर बनाने जाने का प्रस्ताव बना लिया है। माना जा रहा है कि बांकेबिहारी मंदिर के लिए कॉरिडोर का निर्माण होता है तो मंदिर का स्वरूप ही बदल जाएगा।
जनसुविधाएं होंगी उपलब्ध
संकरी गलियों से श्रद्धालुओं को मुक्ति मिलेगी तो जनसुविधाएं भी मुहैया हो सकेंगी। काशी विश्वनाथ मंदिर पर नजर डालें तो इसका क्षेत्रफल करीब पांच लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के दायरे में 23 इमारत और 27 मंदिर भी आते हैं।
चार बडे़ गेट हैं, कॉरिडोर में 22 शिलालेखों पर काशी की महिमा का वर्णन किया गया है। इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, कई यात्री सुविधा केंद्र, यूटिलिटी भवन सहित आदि सुविधाएं दी गई हैं। इसकी विशालता देखते ही बनती है। 1780 में महारानी अहिल्याबाई होलकर के बाद काशी मंदिर को भव्यता कॉरिडोर के माध्यम से दी गई है।
रामेश्वरम मंदिर का कॉरिडोर सबसे बड़ा
इसके अलावा दक्षिण भारत स्थित रामेश्वरम मंदिर का कॉरिडोर सबसे बड़ा है, जो करीब 400 फीट लंबा है। 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल रामेश्वरम के लिए बना कॉरिडोर की खूबसूरती वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इस कॉरिडोर की चौड़ाई 197 मीटर तक है। इस कॉरिडोर की खूबसूरती देखते ही श्रद्धालु चकित रह जाते हैं।
ऐसे कई मंदिर हैं, जहां कॉरिडोर यात्रियों के लिए सुविधाजनक है। इन्हें देखते हुए ठाकुर बांकेबिहारी के भक्त भी फिलहाल दर्शन के लिए होने वाली समस्याओं से मुक्ति की उम्मीद लगाए हुए हैं। जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने बताया कि प्रशासन की तरफ से रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
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वृंदावन में बिहारीजी कॉरिडोर से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का स्वरूप बदल देगा। देश में अनेक मंदिरों में कॉरिडोर की मौजूदगी ने मंदिर की व्यवस्था और खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं। इसमें नवनिर्मित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को वृंदावन के लिए आधार बनाया जा रहा है। हालांकि रामेश्वरम धाम का प्राचीन कॉरिडोर सबसे बड़ा है, जिसकी खूबसूरती वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंगला दर्शन के दौरान बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ के दबाव के चलते दो श्रद्धालुओं की मौत के बाद शासन और प्रशासन स्तर पर मंदिर के लिए कॉरिडोर को लेकर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है। इस पर रिपोर्ट भी अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने जिलाधिकारी से मांगी है। जिला प्रशासन ने तथ्य जुटाते हुए काशी विश्वनाथ की तर्ज पर कॉरिडोर बनाने जाने का प्रस्ताव बना लिया है। माना जा रहा है कि बांकेबिहारी मंदिर के लिए कॉरिडोर का निर्माण होता है तो मंदिर का स्वरूप ही बदल जाएगा।
जनसुविधाएं होंगी उपलब्ध
संकरी गलियों से श्रद्धालुओं को मुक्ति मिलेगी तो जनसुविधाएं भी मुहैया हो सकेंगी। काशी विश्वनाथ मंदिर पर नजर डालें तो इसका क्षेत्रफल करीब पांच लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के दायरे में 23 इमारत और 27 मंदिर भी आते हैं।
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