आगरा: मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारत फतेहपुर सीकरी रखरखाव के अभाव में बदहाल हो रही है। बुलंद दरवाजे की ऊपर लगी गुंबदों के पत्थर चकनाचूर हो रहे हैं। शनिवार को दरवाजे के ऊपर लगी एक बड़ी गुंबद से पत्थर भरभराकर नीचे आ गिरे। गनीमत रही कि उस दौरान कोई पर्यटक नहीं था। नहीं तो कोई हादसा हो सकता था। ये पत्थर गुंबद के ऊपर बनीं तीन पत्थर की बॉल और दो पत्थर की प्लेटें थीं, जिनमें एक बॉल का वजन करीब 5 से 6 किलो था और प्लेटें भी भारी भरकम थीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आए दिन पत्थर गिरते हैं, लेकिन एएसआई के अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। स्मारक के कई गुंबद क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। मुगलकालीन खूबसूरती बदहाल हो रही है।
विश्व विरासत स्थल फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की छत पर कई बड़ी गुंबद हैं। देखरेख के अभाव में बदहाल हो रही गुंबदें आए दिन गिरती रहती हैं। शनिवार करीब शाम छह बजे अचानक एक गुंबद नीचे आ गिरा। हादसे के समय पर्यटक स्मारक में नहीं थे। हादसे के अगले दिन रविवार सुबह एएसआई और सुरक्षा गार्डों ने बुलंद दरवाजे का निरीक्षण किया तो देखा कि छत पर लगे कई गुंबदें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। छत पर कई पेड़ उग आए हैं। क्षेत्रीय निवासी एहसान अली ने बताया कि कई बार यहां पर पत्थर गिर चुके हैं। तीन महीने पहले भी गुंबद से पत्थर गिरा था। पत्थर गिरने के बाद मरम्मत भी नहीं कराई जाती है। रॉयल गेट, शाही लंगर खाना, शाही मस्जिद में भी पत्थर गिर चुके हैं। अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल का कहना है कि उन्हें रविवार को इसकी जानकारी हुई है। गुंबद के ऊपर एक पिनेकल गिरा है। इसकी जानकारी की जा रही है। इसका मलबा भी पड़ा है। मरम्मत कार्य कराया जाएगा।
छत पर उग आए हैं पेड़
बारिश के दिनों में फतेहपुर सीकरी के पत्थरों में दरारें आ गईं हैं। दरवाजे की छत पर पेड़ उग आए हैं। आए दिन पत्थर दरक जाते हैं। बारिश होने के बाद बुलंद दरवाजे के बराबर में बने रॉयल गेट का दल्लान पानी से भर जाता है। छतों पर आने वाले पानी का निकास नहीं हो पा रहा है। स्मारक के छज्जे और गुंबद गिरने से ऐतिहासिक स्मारक बदहाल है। इन हालातों में पर्यटकों को असुविधाएं होती हैं।
शाही मस्जिद में गिरा था पत्थर
मुगल इमारत फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की मस्जिद बनी हुई है। यहां देश विदेश की हस्तियां सजदा करने आती हैं। करीब तीन महीने पहले मस्जिद की छत से एक पत्थर गिर पड़ा, लेकिन मस्जिद के भीतर डबल लेयर का जाल बिछा है। तांबे और धागे के जाल के कारण वह पत्थर सीधे आकर नहीं गिरा। नहीं तो कोई भी हादसा हो सकता था।
12 साल में पुरा हुआ था बुलंद दरवाजे का निर्माण
सोलवीं सदी में बनी ऐतिहासिक स्मारक फतेहपुर सीकरी को यूनेस्को ने ‘विश्व विरासत स्थल’ घोषित किया है। मुगल बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाया था। फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा स्मारक का आर्कषण का केंद्र है। इस सबसे बड़े दरवाजे का निर्माण करीब 12 वर्ष में पूरा हुआ था।
इनपुट- सुनील साकेत
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