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मथुरा के नंदगांव स्थित विश्व प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में 20 अगस्त को मध्य रात में कन्हैया का जन्म होगा। रविवार को मंदिर परिसर में नंदगांव-बरसाना के लोग संयुक्त रूप से परंपरागत नंदोत्सव मनाएंगे। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर कान्हा का जन्मोत्सव मनाया गया।
नंदबाबा मंदिर की खुर गिनती रीति के अनुसार 20 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। 21 अगस्त को पौराणिक एवं ऐतिहासिक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास नंदभवन में रहेगा। अष्टमी यानि शनिवार को मां यशोदा को एक प्रसूता की भांति आहार दिया जाएगा। ठीक मध्य रात को श्रीकृष्ण का जन्म होगा।
ढांढ-ढांढिन लीला होगी आकर्षण का केंद्र
जन्म के बाद शीत से बचाने के लिए सोंठ और धनिया की पंजीरी दी जाएगी। जन्म के बाद मां यशोदा के मस्तक और पेट पर कपड़ा बांध दिया जाएगा, जो कान्हा की छटी तक बंधा रहेगा। अष्टमी की रात में भजन संध्या और कृष्ण वंशावली का बखान किया जाएगा है। ढांढ-ढांढिन लीला आकर्षण का केंद्र रहेगी। वैदिक मंत्रों के साथ गुप्त अभिषेक किया जाएगा।
नंदभवन में गूंजेगा समाज गायन
इस दौरान कान्हा केवल कटि काछनी में ही दर्शन देंगे। देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु इस अलौकिक आनंद का अनुभव करेंगे। अगले दिन नवमी को नंदभवन में प्रात:काल से ही उत्सव शुरू हो जाएगा। नंदभवन में नंदगांव-बरसाना के समाजियों के मध्य घंटों समाज गायन होगा। शंकर लीला, मटकी लीला, दधि कांधा, बांस बधाई आदि कार्यक्रम होंगे।
नंदगांव-बरसाना के लोगों के मध्य बहु चर्चित हास-परिहास और नंदभवन में मल्ल युद्ध स्थानीय लोगों के साथ-साथ देशी-विदेशी श्रद्धालुओं का मनोरंजन करेगा। श्रीकृष्ण-बलराम को बंगली में पलना में लाया जाएगा। बंटा वाली कुंज पुष्टि मर्गीय मंदिर सहित तमाम मंदिरों में 19 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। 20 अगस्त को नंदोत्स्व मनाया जाएगा।
विस्तार
मथुरा के नंदगांव स्थित विश्व प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में 20 अगस्त को मध्य रात में कन्हैया का जन्म होगा। रविवार को मंदिर परिसर में नंदगांव-बरसाना के लोग संयुक्त रूप से परंपरागत नंदोत्सव मनाएंगे। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर कान्हा का जन्मोत्सव मनाया गया।
नंदबाबा मंदिर की खुर गिनती रीति के अनुसार 20 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। 21 अगस्त को पौराणिक एवं ऐतिहासिक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास नंदभवन में रहेगा। अष्टमी यानि शनिवार को मां यशोदा को एक प्रसूता की भांति आहार दिया जाएगा। ठीक मध्य रात को श्रीकृष्ण का जन्म होगा।
ढांढ-ढांढिन लीला होगी आकर्षण का केंद्र
जन्म के बाद शीत से बचाने के लिए सोंठ और धनिया की पंजीरी दी जाएगी। जन्म के बाद मां यशोदा के मस्तक और पेट पर कपड़ा बांध दिया जाएगा, जो कान्हा की छटी तक बंधा रहेगा। अष्टमी की रात में भजन संध्या और कृष्ण वंशावली का बखान किया जाएगा है। ढांढ-ढांढिन लीला आकर्षण का केंद्र रहेगी। वैदिक मंत्रों के साथ गुप्त अभिषेक किया जाएगा।
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