श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रात के 12:00 बजते ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ढोल-नगाडे़, झांझ-मंजीरे और मृदंग की आवाज गूंजने लगी। आनंद आज नंद के द्वार, प्रगटे मनोहर लाल.. के स्वर गूंज उठे। देखते ही देखते श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर भगवान के प्राकट्य के उत्सव की खुशी में झूम उठा। मंदिर के कोने-कोने में कृष्ण कन्हैया की जय-जयकार होने लगी। नंद के आनंद भयौ जय कन्हैया लाल की… के स्वरों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया।
जयकारों के बीच भागवत भवन में श्रीराधाकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष केसर आदि सुगंधित द्रव्यों में लिपटे भगवान कृष्ण के विग्रह को मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल लाया गया। यहां चांदी के कमलपुष्प में विराजित कान्हा का महाअभिषेक सवा मन दूध, दही, घी, बूरा, शहद और दिव्य औषधियों से तैयार पंचामृत से किया गया। इस दौरान आसमान से पुष्पवर्षा होने लगी। महाभिषेक के बाद कन्हैया की शृंगार आरती की गई। दिन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोपहर के वक्त श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर श्रीकृष्ण का पूजन किया। वह सबसे पहले श्रीकृष्ण जन्मस्थान के गर्भगृह में पहुंचे। यहां बाल स्वरूप कान्हा के दर्शन किए। इसके बाद भागवत भवन में राधाकृष्ण की पूजा कर आरती उतारी।
रात के ठीक बारह बजते ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन स्थित राधाकृष्ण मंदिर सहित सभी मंदिरों में घंटे-घड़ियालों और शंखनाद की ध्वनि गूंज उठी। काफी देर तक हर तरफ से जयकारों के स्वर सुनाई देते रहे। कन्हाई के जन्म पर बधाई गीत सुनाई देते रहे।
प्राकट्य अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण का महाभिषेक किया। इस मौके पर महंत नृत्यगोपाल दास महाराज के साथ जन्मस्थान के प्रबंध न्यासी अनुराग डालमिया, सचिव कपिल शर्मा, गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी भी सहयोगी बने।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर महाभिषेक का यह दौर 12:40 बजे तक चला। इसके बाद ठाकुरजी की शृंगार आरती की। इस संपूर्ण दृश्य के साक्षी बने लाखों भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हर कोई ठाकुर जी की एक झलक पाने के लिए ललायत नजर आया।
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