गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रोपवे की योजना पहले तैयार की गई। इसको लेकर सर्वे का काम कराया गया है। इसकी व्यवहार्यता का भी अध्ययन किया गया है। गाजियाबाद में मेट्रो की ब्लू लाइन, रेड लाइन और आरआरटीएस को जोड़ने के लिए रोपवे की योजना तैयार की गई। अब गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से मेट्रो नियो पर ध्यान लगाया गया है। गाजियाबाद के सांसद और केंद्रीय मंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह की पहल पर मेट्रो नियो की योजना पर सर्वेक्षण शुरू किया गया है। इस क्रम में वैशाली (नीला) एवं मोहन नगर (लाल), नोएडा सेक्टर 62 (नीला) एवं साहिबाबाद (आरआरटीएस) और हिंडन नदी बैंक (लाल) एवं राजनगर एक्सटेंशन के बीच मेट्रो न्यू लिंक का पता लगाया।
महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एमएमआरसी) के कार्यकारी निदेशक के साथ जीडीए के अधिकारियों ने सर्वेक्षण किया। एमएमआरसी नासिक में मेट्रो नियो प्रोजेक्ट को लागू करने वाली नोडल एजेंसी है। मेट्रो के नए संस्करण को शहर में कनेक्टिविटी में सुधार के लिए एक व्यवहारिक मोड के रूप में देखा जा रहा है। इसका कारण यह है कि यह सस्ता है और कम ऊर्जा की खपत करता है। जीडीए के मुख्य अभियंता राकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि हमने एमएमआरसी के कार्यकारी निदेशक को मेट्रो नियो प्रोजेक्ट के लिए तीन मार्ग दिखाए हैं। वैशाली से मोहन नगर, नोएडा सेक्टर 62 से साहिबाबाद, हिंडन रिवर बैंक मेट्रो स्टेशन से आरएनई तक का रूट दिखाया गया है। अभी गाजियाबाद में एक मेट्रो प्रोजेक्ट के विस्तार और दो रूट पर रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था।
एमएमआरसी बना रही है प्राइमरी रिपोर्ट
सर्वेक्षण के दौरान मौजूद रहे राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि एमएमआरसी के अधिकारी ने मेट्रो नियो संचालन के लिए अनुकूल मार्गों को पाया है। इसके बाद एमएमआरसी एक प्रारंभिक रिपोर्ट बना रही है। हमें उम्मीद है कि 21 अगस्त तक हम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर लेंगे। रोपवे परियोजना और पूर्व में प्रस्तावित मेट्रो विस्तार परियोजना के बारे में पूछे जाने पर चीफ इंजीनियर ने कहा कि प्राधिकरण ने अभी तक उन्हें स्थगित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि तीनों विकल्प, चाहे वह मेट्रो विस्तार हो, रोपवे और अब मेट्रो नियो, हमारे लिए खुले हैं। हम तीनों परियोजनाओं की व्यवहार्यता का आकलन करने के बाद इस संबंध में निर्णय लेंगे।
लोगों के आवागमन के लिए अपनी पसंद
जीडीए के चीफ इंजीनियर ने कहा कि लोगों के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर अपनी-अपनी पसंद होती है। कुछ लोगों को रोपवे पसंद आ सकता है। कुछ लोग मेट्रो के सफर को पसंद करते हैं। वहीं, कुछ लोगों की पसंद मेट्रो नियो हो सकती है। ये एनर्जी एफिशिएंट और पर्यावरण के लिए अनुकूल प्रोजेक्ट हैं। राकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि एमएमआरसी नासिक में मेट्रो नियो प्रोजेक्ट को क्रियान्वित कर रहा है और इस पर विशेषज्ञता है। इसके मुताबिक जमीनी स्तर पर औसत परियोजना लागत 200 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है। वैशाली से मोहन नगर मेट्रो एक्सटेंशन लाइन, जो 5.1 किमी है, पर अकेले 1,785 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं, वैशाली और मोहन नगर के बीच मेट्रो नियो की लागत 1,000 करोड़ रुपये से थोड़ी अधिक होगी।
चीफ इंजीनियर ने कहा कि रोपवे परियोजना की डीपीआर के अनुसार वैशाली से मोहन नगर के बीच 450 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत है। उन्होंने बताया कि रोपवे परियोजना की लागत नियो मेट्रो की तुलना में बहुत कम है। रोपवे को लेकर कई और फायदे भी हैं, तो कुछ कमियां भी हैं। नियो मेट्रो कोचों की औसत लंबाई 24-25 मीटर के बीच होती है और इसमें 225 यात्री बैठ सकते हैं। वहीं, एक रोपवे वैगन एक बार में केवल दस यात्रियों को लेकर चल सकता है। रोपवे की तुलना में मेट्रो नियो परिचालन लागत भी कम है।
आधुनिक ट्राम की तरह है मेट्रो नियो
राकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि मेट्रो नियो एक आधुनिक समय की ट्राम की तरह है, जिसे पटरियों की आवश्यकता नहीं होगी। यह पहियों पर चलेगी, जो ओवरहेड बिजली के तारों से संचालित होगी। वर्ष 2018 में जीडीए ने गाजियाबाद में नोएडा सेक्टर 62 से साहिबाबाद और वैशाली से मोहन नगर तक दो मार्गों पर मेट्रो विस्तार परियोजना की योजना बनाई थी। जीडीए ने परियोजना की लागत 3711 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था, लेकिन फंड के मुद्दों के कारण परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।
जीडीए की ओर से वर्ष 2021 में रोपवे की योजना तैयार की गई थी। लेकिन, यह स्थानीय लोगों के विरोध के कारण भी समस्याओं फंस गया। स्थानीय लोग मूल रूप से नियोजित मेट्रो विस्तार परियोजना के विकल्प के रूप में रोपवे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब जीडीए मेट्रो नियो प्रोजेक्ट पर भी विचार शुरू कर दी है।
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