आजादी के अमृत महोत्सव को मनाते हुए डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय का सभागार बुधवार को हास्य, वीर और श्रृंगार रस की रचनाओं से गूंज उठा। मौका था विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन ऐ वतन का। इस दौरान कभी तालियों की गड़गड़हट तो कभी पिन डॉप साइलेंस की स्थिति रही। मंच संभालते ही जाने-माने शायर नवाब देवबंदी ने मोहब्बत में पिरोयी अपनी चंद लाइन….मेरे पास एक पिंजरा है, उसमे परिंदा है उसे भी प्यार है मुझसे मुझे भी प्यार है उससे…वाहवाही लूटी। इसके बाद उन्होंने जूते सीधे कर दिये थे एक दिन उस्ताद के, उसके बदले में मेरी तकदीर सीधी हो गयी… सुनाई। गरीबी पर अमीरी की ज्यादती पर अपनी चंद पंक्तियां –बहुत मजाक उड़ाते हो तुम गरीबों का, मदद करते हो तुम तस्वीर खींच लेते हो—पढ़ी तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़हट से गूंज उठा। इसी तरह उन्होंने विश्वासघात पर चोट करती अपनी चंद लाइनें सुनाई कहा, राज पहुंचे मेरे दुश्मनों तक, मशविरा कर लिया था अपनो से….अंत में उन्होंने देश प्रेम से ओत-प्रोत अपनी मशहूर अपनी रचना—हिंदु मुस्लिम चाहे जो लिखा हो माथे पर आपके सीने पर हिन्दुस्तान होना चाहिए का पाठ किया तो श्रोता झूम उठे।
इसी तरह मशहूर शायर कलीम कैसर ने देश प्रेम से लबरेज अपनी रचना –युगों युगों गूंजे ये नारा, केवल इक दो सदी नहीं, भारत जैसा देश नहीं गंगा जैसी नदी नहीं सुनाकर श्रोताओं को बांध लिया। इसी तरह सुनाया कि—चांद कहता है गगन हंसी है, एक दीवाना गाता फिरता है अपना वतन हंसी है।
इसके बाद हास्य कवि सर्वेश अस्थाना ने अपनी व्यंग्य करती रचनाओं ने व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर चोट की। सुनाया कि हम अपने मित्र दरोगा जी के घर गये, देखा दरोगा जी मर गये, मैंने भाभी जी से पूछा ये कैसे हुआ क्या फांसी लगाया, जहर फांका तो उन्होंने बताया न फांसी लगाया न जहर फांका दरोगा जी ने अपने गिरेबां में झांका—सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इसी तरह हास्य कवि प्रमोद पंकज ने अपनी हास्य रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। कोरोना आना नहीं मेरे देश में, कोरोना मेरे दोस्त वादा निभाना बाइपास होकर पाकिस्तान में घुस जाना सुनाया तो हॉल ठहाकों से गूंज उठा।
आईएएस अखिलेश मिश्रा ने थक गये सब तुम्हे मनाने में, क्या मिला तुमको रूठ जाने में सुनाकर शहीद सैनिक के परिजनों के दर्द को बयां किया। इसी तरह अमन अक्षर ने भगवान राम पर अपनी रचना को सुनाया। कहा, कैकेयी की कामना से जग को राम मिल गये। इसी तरह मनवीर मधुर ने हमारे शौर्य की अद्भुत कौन लिखेगा सुनाया तो वहीं मन में राम नहीं हों तो यह तन रावण हो जाता है सुनाकर वाहवाही लूटी। युवा रचनाकार स्वयं श्रीवास्तव ने जो याद तेरे पांव की जंजीर बनी, वह याद मेरे हाथ की लकीर बनी सुनाकर श्रोताओं की तालियां बटोरी। इसी तरह नुसरत अतीक ने देश के प्रति सम्मान समेटे रचना–इसी मिट्टी से हमें चाहतों का रंग भरना है, इसी भारत में मरना है इसी भारत में जीना है सुनाकर तालियां बटोरी। कवि कमलेश शर्मा ने जोशिले अंदाज में अपनी रचनाओं को सुनाया। राम पर आधारित उनकी रचना राम मिलेंगे जहां चाह है राम हुए हैं कितने प्रमाण दें सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सरला शर्मा ने भी अपनी रचनाएं सुनाई।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र ने कहा कि कविताएं हमें नया जोश और जज्बा देती हैं। उन्होंने सभी कवियों का आभार जताया। इसके पहले कवि सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन और वंदना से हुआ। इस मौके पर कुलसचिव सचिन सिंह, प्रति कुलपति प्रो0 मनीष गौड़, उप कुलसचिव डॉ0 आरके सिंह सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
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