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बड़ी कुर्बानियां देकर 75 साल पहले गुलामी से आजादी मिली। अपने कानून बने, जनता ने सरकार चुनी। फिर भी गंदगी, प्रदूषण, जाम, टूटी सड़क, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, अपराध साल दर साल बढ़ते गए। इनसे लड़ने का जिम्मा भी हमारे कंधों पर है। इसके लिए जिम्मेदारी उठानी होगी, क्यों न अमृत महोत्सव में इनसे आजादी का माद्दा जगाएं। इन बुराइयों से पार पाना बड़ी आजादी होगी।
बदहाल चिकित्सा सेवा
आगरा में करीब 50 लाख की आबादी है। 30 लाख लोग देहात में निवास करते हैं। इनके इलाज के लिए 18 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 45 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन पर चिकित्सक-नर्सिंग स्टाफ की कमी है। पीएचसी में प्रसव के लिए भी बेहतर सुविधाएं नहीं हैं। बुखार-खांसी जैसी परेशानियों के लिए भी ग्रामीण झोलाछाप और निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं। सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव को कहना है कि देहात में स्मार्ट सीएचसी बनाई जा रही हैं। जांच की सुविधा समेत चिकित्सक भी बढ़ाए जाएंगे।
भ्रष्टाचार
आजादी के 75 साल बाद भी भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम आए दिन किसी ने किसी विभाग में रिश्वत लेते कर्मचारियों को रंगे हाथ पकड़ती है। रिश्वत के 90 फीसदी मामलों में लोग शिकायत ही नहीं करते। जिसके कारण भ्रष्टाचार से आजादी नहीं मिल सकी है। शिक्षा, राजस्व, पुलिस व अन्य विभागों में आए दिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं।
बदहाल हैं शहर की सड़कें
शहर से गांव तक करीब 1500 किमी लंबी सड़कों का जाल बिछा है। अफसरों के घर व कार्यालयों की सड़कों को छोड़ दें तो शहर में अधिकांश सड़के एक बारिश भी नहीं झेल पातीं। अनियोजित ढंग से खोदाई के बाद धंसी सड़क व गड्ढों में लोगों की जान जा रही है।
करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी सड़कों की हालत नहीं सुधरी। पीडब्ल्यूडी, एडीए, नगर निगम व संबंधित विभाग 75 साल बाद भी सड़क मार्ग सुगम नहीं बना सके हैं। पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता गजेंद्र वार्ष्णेय का कहना है कि टूटी सड़कों की मरम्मत करा रहे हैं, साथ अब नई सड़के बेहद गुणवत्ता वाली बन रही हैं।
ताजनगरी पर गंदगी का दाग
ताजमहल जैसे स्मारक से आगरा देश-दुनिया में सिरमौर है। यहां 30 हजार से अधिक रोजाना पर्यटक भी आ रहे हैं। लेकिन यहां की गंदगी बड़ी समस्या बनी है। कचरे का निस्तारण बेहतर नहीं और सड़कों पर गंदगी साफ देखी जा सकती है। रोजाना कचरा नहीं उठता। डस्टबिन लगे हैं, लेकिन कई जगह से टूटे हैं और कचरा भी फैला रहता है। नगरायुक्त टीकाराम फुंडे ने कहा कि पहले से बेहतर सफाई की जा रही है। कचरा भी उठवा रहे हैं।
प्रदूषण बिगाड़ रहा सेहत
हवा ऐसी कि सांस लेने में परेशानी होती है। देश भर के टॉप पांच प्रदूषित शहरों में आगरा का नाम भी शामिल होता है। इसकी बड़ी वजह हरियाली की कमी, पौधरोपण के नाम पर खानापूर्ति है। अभी का हाल देखें तो गमले खूब लगाए, पौधे भी रोपे, बिना देखभाल के लिए इनमें से अधिकांश नष्ट हो गए।
लंबित डिग्री-मार्कशीट
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से डिग्री पाना आसान नहीं। महीनों चक्कर काटने पर भी डिग्री नसीब नहीं होती। अभी भी 2015 से पहले की करीब पांच हजार डिग्री लंबित हैं। समय पर डिग्री न मिलने से कई होनहारों के हाथ से नौकरी फिसल गई। परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओमप्रकाश का कहना है कि सभी सेवाएं डिजिटल कर रहे हैं, सॉफ्टवेयर तैयार कर लंबित डिग्री निपटाई जाएंगी।
विस्तार
बड़ी कुर्बानियां देकर 75 साल पहले गुलामी से आजादी मिली। अपने कानून बने, जनता ने सरकार चुनी। फिर भी गंदगी, प्रदूषण, जाम, टूटी सड़क, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, अपराध साल दर साल बढ़ते गए। इनसे लड़ने का जिम्मा भी हमारे कंधों पर है। इसके लिए जिम्मेदारी उठानी होगी, क्यों न अमृत महोत्सव में इनसे आजादी का माद्दा जगाएं। इन बुराइयों से पार पाना बड़ी आजादी होगी।
बदहाल चिकित्सा सेवा
आगरा में करीब 50 लाख की आबादी है। 30 लाख लोग देहात में निवास करते हैं। इनके इलाज के लिए 18 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 45 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन पर चिकित्सक-नर्सिंग स्टाफ की कमी है। पीएचसी में प्रसव के लिए भी बेहतर सुविधाएं नहीं हैं। बुखार-खांसी जैसी परेशानियों के लिए भी ग्रामीण झोलाछाप और निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं। सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव को कहना है कि देहात में स्मार्ट सीएचसी बनाई जा रही हैं। जांच की सुविधा समेत चिकित्सक भी बढ़ाए जाएंगे।
भ्रष्टाचार
आजादी के 75 साल बाद भी भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम आए दिन किसी ने किसी विभाग में रिश्वत लेते कर्मचारियों को रंगे हाथ पकड़ती है। रिश्वत के 90 फीसदी मामलों में लोग शिकायत ही नहीं करते। जिसके कारण भ्रष्टाचार से आजादी नहीं मिल सकी है। शिक्षा, राजस्व, पुलिस व अन्य विभागों में आए दिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं।
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